कविता के खिलाफ 20 नवंबर तक समन जारी नहीं किया जाएगा: ईडी ने न्यायालय से कहा

डीएन ब्यूरो

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह दिल्ली आबकारी नीति मामले में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता को तब तक समन जारी नहीं करेगा, जब तक 20 नवंबर को न्यायालय में उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं हो जाती। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता
भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता


नयी दिल्ली:  प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह दिल्ली आबकारी नीति मामले में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता को तब तक समन जारी नहीं करेगा, जब तक 20 नवंबर को न्यायालय में उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं हो जाती।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू से कहा, ‘‘इस बीच उन्हें न बुलाएं।’’

राजू ने पीठ को भरोसा दिलाया कि कविता को पूछताछ के लिए 20 नवंबर तक नहीं बुलाया जाएगा।

इसके बाद पीठ ने कविता की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। याचिका में कविता ने 20 नवंबर के लिये एजेंसी द्वारा जारी समन को चुनौती दी है। पीठ ने कहा कि जिन मामलों में सुरक्षा के अंतरिम आदेश जारी किए गए हैं, उनकी अवधि बढ़ाई जाएगी।

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प्रवर्तन निदेशालय ने न्यायालय को 15 सितंबर को बताया था कि वह दिल्ली आबकारी नीति मामले में बीआरएस की नेता के. कविता को जारी समन की तारीख 10 दिन बढ़ाएगा।

निदेशालय ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की बेटी कविता को चार सितंबर को समन जारी कर एजेंसी के दिल्ली स्थित कार्यालय में 15 सितंबर को पेश होने के लिए कहा था।

कविता ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि उनकी याचिका की सुनवाई के दौरान निदेशालय को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत नोटिस या समन के माध्यम से उन्हें बुलाने से रोकने का निर्देश दिया जाए।

उन्होंने याचिका में ईडी द्वारा कठोर कार्रवाई से सुरक्षा दिए जाने का भी आग्रह किया है।

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पीएमएलए की धारा 50 समन, दस्तावेज पेश करने, साक्ष्य पेश करने आदि के संबंध में प्राधिकारियों की शक्तियों से संबंधित है।

याचिका में चार सितंबर के समन या किसी अन्य समन के क्रियान्वयन और ‘‘उससे संबंधित हर दंडात्मक कार्रवाई’’ पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।

 










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