ईडी निदेशक के कार्यकाल विस्तार पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की इस दलील को किया खारिज

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र की इस दलील से असहमति जताई कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने की अनुमति देने वाले संशोधित कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

उच्चतम न्यायालय
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र की इस दलील से असहमति जताई कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने की अनुमति देने वाले संशोधित कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि वे धनशोधन के गंभीर आरोपों का सामना कर रही राजनीतिक संस्थाओं द्वारा दायर की गई हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता धनशोधन के आरोपों के मामलों का सामना कर रहे हों, लेकिन उन्हें अपनी शिकायतों के निवारण के लिए न्यायपालिका से संपर्क करने का अधिकार है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘‘यहां तक कि अगर वे आरोपी हैं, तब भी उनके पास अपनी बात रखने का अधिकार है। यदि इन लोगों को अपनी बात रखने का अधिकार नहीं होगा, तो और किसे होगा?’’

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यह टिप्पणी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के बाद आई है कि उन्होंने याचिकाकर्ताओं के लिए 'पीड़ित' शब्द का इस्तेमाल कभी नहीं किया।

याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने यह स्पष्टीकरण दिया कि केंद्र की आपत्ति यह थी कि याचिकाएं राजनीतिक दलों द्वारा दायर की गई हैं, जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के 'पीड़ित' हैं।

तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने कभी 'पीड़ित' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया और वास्तव में ये राजनीतिक पार्टी के लोग हैं, जो धनशोधन के मामलों में आरोपी हैं।

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शीर्ष अदालत ने शंकरनारायणन से सॉलिसिटर जनरल के आरोप के साथ अपने बयान से 'पीड़ित' शब्द को वापस लेने के लिए कहा।










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