महराजगंजः श्री विष्णु महायज्ञ, मोक्ष के लिए श्रीमद्भागवत का श्रवण सरलतम मार्ग

मिठौरा ब्लाक के पिपरा कल्याण गांव में चल रहे श्री विष्णु महायज्ञ में यज्ञाचार्य पंडित दिलीप मिश्र ने कथा का रसपान कराया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 9 January 2023, 8:39 PM IST
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महराजगंजः पिपरा कल्याण गांव में चल रहे श्री विष्णु महायज्ञ के पहले दिन सोमवार को यज्ञाचार्य पंडित दिलीप मिश्र ने कथा का रसपान कराया। कहा कि इंसान बिना परिश्रम के ऐहलौकिक और पारलौकिक फल की प्राप्ति करना चाहता है। उसके पास न समय है और न ही उचित मार्गदर्शन। श्रीमद्भागवत का पठन व श्रवण सरलतम मार्ग है। इसे करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति संभव है। 

कल्पतरू की तरह शोभायमान है श्रीमद्भागवत कथा 
उन्होंने कहा कि अट्ठारह पुराणों के उपवन में श्रीमद्भागवत कल्पतरु की तरह शोभायमान है। बारह स्कंध व अठ्ठारह हजार श्लोक वाले यह पुराण ज्ञान का अक्षय भंडार है। रस पेड़ की जड़ से लेकर शाखा तक व्याप्त रहता हैए पर आस्वादन नहीं किया जा सकता। वहीं रस जब फल के रुप में आता हैए तब सभी को प्रिय लगता है। उसी तरह भागवत वेदरुपी कल्पवृक्ष का परिपक्व फल है। शुकदेव रूपी शुक के मुख का संयोग होने से अमृत रस से परिपूर्ण है। इसमें न छिलका है और न ही गुठली। यह इसी लोक में सुलभ है। 

गोकर्ण की कथा सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रद्वालु
उन्होंने कहा कि पुराणों के अनुसार तुंगभद्रा नदी के तट पर आत्मदेव नाम का ब्राह्मण रहता था। वह समस्तवेदों के विशेषज्ञ थे। उनकी पत्नी धुन्धली कुलीन और सुन्दर थी। पर स्वभाव कू्रर था। ब्राह्मण को कोई संतान नहीं था। तभी एक संत ने कारण जानकर एक फल दिया और कहा कि इसे अपनी पत्नी को खिला देनाए पुत्र होगा। पर पत्नी ने उस फल को एक गाय को खिला दिया। एक दिन ब्राह्मण देव को गाय पास एक बच्चा दिखा। वह मनुष्याकार था लेकिन उनके कान गौ के जैसी थी। जिसका नाम गोकर्ण रखा।

बैकुण्ठ से धुन्धकारी के लिए आया विमान  
उन्होंने कहा कि उधर धुन्धली की बहन ने अपने पुत्र लाकर दे दिया। जिसका नाम धुन्धकारी रखा गया। उन्होंने कहा कि दोनों युवा हुए। पर उनके रास्ते अलग हो गए। उसमें कोकर्ण तो बड़ा ज्ञानी हुआ, लेकिन धुंधकारी दुष्ट प्रवृति का हो गया। धुंधकारी अपने भाई गोकर्ण से इस दुष्ट योनी से छूटकारा पाने के लिए उपाय पूछा। गोकर्ण ने कहा कि सिर्फ श्रीमद्भागवत कथा से ही इस पाप से मुक्ति मिल सकती है। धुंधकारी ने प्रेतयोनी में श्रीमद्भागवत कथा का बारह स्कंध सुना और पवित्र हो गया। जिसके लिए एक विमान उतरा और बैकुण्ठ की ओर चल दिए। इस प्रकार यदि मनुष्य भी श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करें तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी।

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