भारत में नवजात मृत्युदर पर पढ़ें डब्ल्यूएचओ की ये खास रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ) के एक शीर्ष अधिकारी ने भारत में 2016 से 2021 के बीच नवजात मृत्यु दर में कमी के वार्षिक दर के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठाने वाले भारत में 2030 तक इस प्रमुख क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की संभावना है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

बाल तथा किशोर स्वास्थ्य व वृद्धावस्था विभाग के निदेशक डॉ. अंशु बनर्जी
बाल तथा किशोर स्वास्थ्य व वृद्धावस्था विभाग के निदेशक डॉ. अंशु बनर्जी


केप टाउन: विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ) के एक शीर्ष अधिकारी ने भारत में 2016 से 2021 के बीच नवजात मृत्यु दर में कमी के वार्षिक दर के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठाने वाले भारत में 2030 तक इस प्रमुख क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की संभावना है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मातृ, नवजात, बाल तथा किशोर स्वास्थ्य व वृद्धावस्था विभाग के निदेशक डॉ. अंशु बनर्जी ने ‘कहा, ‘‘ भारत ने प्रसव पीड़ा और प्रसव के दौरान देखभाल की गुणवत्ता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे मातृ मृत्यु दर में कमी आई है। इससे नवजात शिशुओं को भी फायदा होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ यदि हम 2016-2021 के बीच नवजात मृत्यु दर में कमी की वार्षिक दर की बात करें और यह 2022-2030 तक ऐसे ही बनी रही तो संभावना है कि भारत सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में कामयाब होगा।’’

डॉ. बनर्जी ने कहा कि नवजात स्वास्थ्य के लिए नीति तथा योजना को मजबूत करने सहित नवजात मृत्यु दर में कमी लाने के लिए भारत ने सक्रिय रूप से कदम उठाए हैं।

डॉ बनर्जी पिछले सप्ताह ‘अंतरराष्ट्रीय मातृ नवजात स्वास्थ्य सम्मेलन’ (आईएमएनएचसी 2023) में हिस्सा लेने के लिए यहां पहुंचे थे। आठ से 11 मई तक आयोजित चार दिवसीय सम्मेलन के दौरान उन्होंने कई सत्रों को संबोधित किया।

आईएमएनएचसी 2023 की मेजबानी दक्षिण अफ्रीका की सरकार और एलाइनएमएनएच (बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित एक वैश्विक पहल) ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) के सहयोग और यूएनएफपीए (संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष), यूनिसेफ (संयुक्त राष्ट्र बाल कोष) तथा विश्व बैंक के साथ साझेदारी से की।

भारत में स्वास्थ्य सुविधा और सामुदायिक दोनों स्तरों पर एक स्थापित नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। ‘‘नवजात शिशुओं को घर पर उचित देखभाल’’ प्रदान करने के लिए शुरू किए गए कार्यक्रमों में से सबसे बड़ा कार्यक्रम भारत में चलाया जा रहा है। इसके तहत जन्म के बाद स्वास्थ्य सेवाएं तथा परामर्श प्रदान करने के लिए अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) द्वारा छह से सात घर का दौरा किया जाता है।










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