Rail Neer Scam: रेल नीर घोटाले को लेकर हाई कोर्ट का बड़ा एक्शन, प्राथमिकी रद्द करने पर कही ये बात
दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजधानी और शताब्दी ट्रेन में ‘रेल नीर’ के बजाय अन्य बोतल बंद पानी बेचे जाने से रेलवे को कथित तौर पर हुए 19.5 करोड़ रुपये के नुकसान को लेकर 2015 में दो ‘कैटरिंग’ (खानपान प्रबंधन) कंपनियों और एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजधानी और शताब्दी ट्रेन में ‘रेल नीर’ के बजाय अन्य बोतल बंद पानी बेचे जाने से रेलवे को कथित तौर पर हुए 19.5 करोड़ रुपये के नुकसान को लेकर 2015 में दो ‘कैटरिंग’ (खानपान प्रबंधन) कंपनियों और एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी की उस रिपोर्ट पर फिलहाल विचार नहीं किया जा सकता है, जिसमें कहा गया था कि रेलवे को कोई नुकसान नहीं हुआ है, क्योंकि रेल नीर यदि याचिकाकर्ताओं द्वारा नहीं उठाया गया था, तो उसे कहीं और बेच दिया गया था।
इसमें कहा गया है कि सवाल रेलवे के पीएसयू आईआरसीटीसी द्वारा आपूर्ति किए गए बिना बिके पैकेज्ड पानी ‘रेल नीर’ के लिए कैटरिंग कंपनियों द्वारा किये गए प्रतिपूर्ति (रीइम्बर्समेंट) के दावे के कारण रेलवे को हुए नुकसान का है।
बोतल बंद पानी रेल नीर की आपूर्ति रेलवे का सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम आईआरसीटीसी (भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम) करता है।
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न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने अक्टूबर 2015 में दर्ज मामले में सीबीआई द्वारा आरोपी के रूप में नामजद की गई दो कंपनियों और एक व्यक्ति द्वारा दायर तीन याचिकाएं खारिज कर दी। यह मामला भारतीय दंड संहिता के तहत धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश रचने और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत आपराधिक कदाचार को लेकर दर्ज किया गया था।
उन्होंने प्राथमिकी रद्द करने और उससे उपजने वाली कार्यवाही निरस्त करने का अनुरोध किया था।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘तमाम दलीलों और मामले पर विचार करते हुए...इस वक्त प्राथमिकी रद्द करने का कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए, याचिकाएं खारिज समझी जाएं।’’
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अनुसार, यह आरोप है कि 2013-14 के दौरान लाइसेंसधारक (केटरर) ने रेल नीर की भारी मात्रा में उपलब्धता रहने के बावजूद राजधानी/शताब्दी ट्रेन में जानबूझ कर अन्य बोतल बंद पानी की आपूर्ति की।
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यह आरोप है कि इससे सरकारी खजाने को 19.55 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सीबीआई ने दो लोकसेवकों और कई लाइसेंस धारकों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है।