दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस ने इस मामले में सुनवाई से खुद को किया अलग

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के आरोपी आसिफ इकबाल तन्हा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग करते हुए कहा कि अदालत की कार्रवाई का न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता पर कभी भी हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

दिल्ली हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
दिल्ली हाई कोर्ट (फाइल फोटो)


नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के आरोपी आसिफ इकबाल तन्हा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग करते हुए कहा कि अदालत की कार्रवाई का न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता पर कभी भी हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।

यह याचिका 2020 में हुई सांप्रदायिक हिंसा के पीछे ‘‘बड़ी साजिश’’ के लिए तन्हा के इकबालिया बयान के कथित लीक से संबंधित है।

पूर्व में न्यायमूर्ति भंभानी ने न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) के साथ ‘‘पहले के अपने जुड़ाव’’ के कारण मामले में संगठन की हस्तक्षेप अर्जी की सुनवाई पर अपनी आपत्ति प्रकट की थी।

उन्होंने कहा कि अदालत के विचार को व्यवस्था की विश्वसनीयता को बनाए रखने के पक्ष में झुकना चाहिए, जो न केवल ‘‘तथ्य में निष्पक्षता’’ से प्राप्त होता है, बल्कि ‘‘धारणा में निष्पक्षता’’ से भी आता है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘न्याय प्रणाली की समग्र विश्वसनीयता के व्यापक हित में, इस अदालत ने मामले से अलग होने का फैसला किया है।’’

मुख्य न्यायाधीश के आदेशों के अधीन, याचिका को 19 अप्रैल को एक अन्य पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हुए अदालत ने कहा कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रही है।

तन्हा ने निचली अदालत द्वारा संज्ञान लिए जाने से पहले अपने कथित इकबालिया बयान को 2020 में कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा प्रसारित करने के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया।

तन्हा ने इस मामले में एनबीडीए के हस्तक्षेप पर इस आधार पर आपत्ति जताई कि जब शिकायत की गई थी, कथित इकबालिया बयान के प्रसारण के मुद्दे में ‘‘रुचि नहीं’’ रखने वाली एसोसिएशन ने अब हस्तक्षेप अर्जी दायर की ताकि न्यायाधीश के मामले से अलग होने की घटना ‘‘सच हो जाए।’’

अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि एसोसिएशन की हस्तक्षेप अर्जी के मुद्दे पर निर्णय लेते समय भी निष्पक्षता के व्यापक सिद्धांत का पालन करना चाहिए।










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