टिकटॉक पर ई-सिगरेट का मनोरंजन, सुरक्षित तथा सामाजिक रूप से स्वीकार्य के तौर पर प्रचार

डीएन ब्यूरो

इंस्टाग्राम, टिकटॉक और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंच ई-सिगरेट को सकारात्मक तरीके से दिखाते हैं। यह इसे ऐसे दिखाते हैं जैसे ई-सिगरेट का इस्तेमाल आम है और इसे सामाजिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

टिकटॉक पर ई-सिगरेट का मनोरंजन
टिकटॉक पर ई-सिगरेट का मनोरंजन


पर्थ (ऑस्ट्रेलिया): इंस्टाग्राम, टिकटॉक और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंच ई-सिगरेट को सकारात्मक तरीके से दिखाते हैं। यह इसे ऐसे दिखाते हैं जैसे ई-सिगरेट का इस्तेमाल आम है और इसे सामाजिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है।

ऑस्ट्रेलिया में पारंपरिक तंबाकू के विज्ञापन पर दशकों से प्रतिबंध लगा हुआ है। हालांकि, सोशल मीडिया पर ई-सिगरेट का व्यापक रूप से प्रचार किया जाता है।

कुछ मंचों की कंटेंट नीतियां हैं जिसके तहत तंबाकू उत्पाद के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की मनाही है। लेकिन इस सप्ताह प्रकाशित हमारे नए अध्ययन से पता चलता है कि इन नीतियों का नियमित रूप से उल्लंघन किया जाता है।

सकारात्मक वीडियो से बढ़ रहा है ई-सिगरेट का चलन :

ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों के युवाओं में ई-सिगरेट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। ई-सिगरेट को लेकर सोशल मीडिया पर सकारात्मक संदेशों का युवाओं पर असर पड़ सकता है जो सोशल मीडिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। कुछ मामलों में इन संदेशों को खुले तौर पर किशोरों को लक्षित करके भी दिखाया गया।

अनुसंधान से पता चलता है कि सोशल मीडिया पर ई-सिगरेट से जुड़े पोस्ट देखने वाले युवाओं के वैपिंग करने (सिगरेट का धुआं अंदर खींचने) तथा ई-सिगरेट को सकारात्मक तरीके से देखने की अधिक आशंका होती है।

टिकटॉक तरकीबों पर जोर देता है और नुकसान को कम करता है :

हाल में प्रकाशित हमारे अध्ययन में हमने देखा कि टिकटॉक पर किन तरीकों से ई-सिगरेट का विज्ञापन तथा प्रचार किया जा रहा है। हमने ई-सिगरेट की उपयोगकर्ता द्वारा बनाये गए अंग्रेजी भाषा के 264 वीडियो का विश्लेषण किया और फरवरी 2022 में टिकटॉक की अपनी कंटेंट नीति के खिलाफ उनका मूल्यांकन किया।

हमने पाया कि ज्यादातर वीडियो (98 प्रतिशत) में ई-सिगरेट को सकारात्मक रूप से दिखाया गया।

एक चौथाई से अधिक वीडियो ने साफ तौर पर टिकटॉक की कंटेंट नीति का उल्लंघन किया और वैपिंग उत्पादों को खरीदने के लिए बढ़ावा दिया।

कुछेक वीडियो में ही स्वास्थ्य संबंधी चेतावनियां थीं। केवल दो प्रतिशत पोस्ट में ही वैप या निकोटिन को लत बताया गया।

लोकप्रिय पोस्ट्स में वैप तरकीबें या ट्रिक्स बतायी गयीं (जैसे कि एरोसोल का धुआं छोड़ने पर आकृतियां बनाना)। अध्ययन से पता चलता है कि किशोर अक्सर वैपिंग ट्रिक्स को आजमाने के लिए ई-सिगरेट पीना शुरू कर देते हैं।

कंटेंट नीति का उल्लंघन करने वाले वीडियो में अक्सर यह जानकारियां भी दी गयीं कि ई-सिगरेट उत्पादों को कैसे और कहां से खरीदा जा सकता है। इसमें ऑनलाइन रिटेलर तथा अन्य सोशल मीडिया खातों के लिंक भी उपलब्ध कराए गए।

तो क्या होना चाहिए?

हम कंटेंट नीति बनाने और उसे लागू करने के लिए सोशल मीडिया मंचों पर निर्भर नहीं रह सकते। सोशल मीडिया नीतियों का अक्सर उल्लंघन किया जाता है और इसमें कोई बड़े परिणाम भी नहीं होते।

नीतियों के क्रियान्वयन पर जोर देने की आवश्यकता है। इसमें सोशल मीडिया मंचों को यह बताना अनिवार्य होना चाहिए कि वे नियमों का क्रियान्वयन कैसे सुनिश्चित कर रहे हैं।

टिकटॉक पर ई-सिगरेट समर्थक सामग्री के प्रचार पर रोक लगाने के लिए मौजूदा नीतियां अपर्याप्त हैं। ई-सिगरेट सामग्री तथा उसके प्रचार पर व्यापक नियमन की आवश्यकता है।

 










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