OLA-Uber: केंद्र सरकार जल्द शुरू करेगी अपनी टैक्सी सेवा, ओला-उबर को मिलेगी टक्कर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में घोषणा करते हुए बताया कि सरकार जल्द ही एक योजना लाने वाली है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट

नई दिल्ली: केंद्र सरकार अब निजी कैब सेवा जैसे ओला और उबर को टक्कर देने के लिए खुद की टैक्सी सेवा शुरू करने जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में घोषणा करते हुए बताया कि सरकार जल्द ही “सहकार टैक्सी योजना” लेकर आएगी। जिसका उद्देश्य टैक्सी ड्राइवरों को राहत देना और उपभोक्ताओं को किफायती परिवहन सेवा उपलब्ध कराना है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवादाता के अनुसार, इस योजना के तहत सहकारी समितियां दोपहिया, ऑटो-रिक्शा, टैक्सी और चारपहिया वाहनों को पंजीकृत करा सकेंगी।
क्या है सहकार टैक्सी योजना?
केंद्रीये गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को आगे बढ़ाने के लिए बनाई गई है। उन्होंने बताया कि सहकारिता मंत्रालय इस परियोजना पर पिछले साढ़े तीन साल से काम कर रहा है, और अब इसे जल्द ही लागू किया जाएगा।
गृह मंत्री ने कहा कि यह सेवा मौजूदा निजी कैब कंपनियों से अलग होगी और इसमें ड्राइवरों के हितों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा, “यह केवल एक नारा नहीं है, बल्कि इसे जमीन पर उतारने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इससे ड्राइवरों को सीधा लाभ मिलेगा और उन्हें कंपनियों के अधीन नहीं रहना पड़ेगा।”
ओला-उबर पर लगे थे मनमाने किराए के आरोप
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ओला और उबर को टक्कर देने आ गई ‘सेवा कैब’..
सरकार द्वारा सहकार टैक्सी योजना लाने के पीछे ओला और उबर जैसी निजी कैब कंपनियों के खिलाफ मिली शिकायतें भी एक बड़ा कारण हैं। दिसंबर 2024 में सरकार को रिपोर्ट मिली थी कि ये कंपनियां अलग-अलग ग्राहकों से भिन्न किराया वसूल रही थीं। खासतौर पर, यह आरोप लगाया गया था कि आईफोन उपयोगकर्ताओं से अधिक किराया लिया जाता है, जबकि एंड्रॉयड फोन इस्तेमाल करने वालों को कम दर पर सेवा दी जाती है।
इस मामले पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने ओला और उबर को नोटिस जारी किया था। हालाँकि, दोनों कंपनियों ने इन आरोपों को खारिज किया। ओला ने अपने बयान में कहा था कि उसका किराया सभी ग्राहकों के लिए समान है और किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता। उबर ने भी सफाई देते हुए कहा था कि उनके किराया निर्धारण में फोन के ब्रांड या मॉडल का कोई संबंध नहीं है।
नए विकल्प के साथ आएगी सरकार
सरकार का मानना है कि मौजूदा कैब एग्रीगेटर्स के खिलाफ शिकायतें और उनके द्वारा मनमाने ढंग से किराया तय करने की प्रवृत्ति को देखते हुए, एक नई सहकारी टैक्सी सेवा जरूरी हो गई थी। उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि सीसीपीए ने इस मामले की जांच की थी और ओला-उबर को स्पष्टीकरण देने के लिए कहा था।
ड्राइवरों और यात्रियों को क्या होगा फायदा?
ड्राइवरों को अधिक स्वतंत्रता: सहकार योजना के तहत ड्राइवर सीधे सहकारी समितियों से जुड़ सकेंगे, जिससे वे कंपनियों द्वारा लगाए गए भारी कमीशन से बचेंगे।
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यात्रियों को सस्ती सेवा: सरकारी टैक्सी सेवा निजी कंपनियों के मुकाबले कम किराए पर यात्रियों को सुविधा प्रदान कर सकती है।
पारदर्शी किराया नीति: ओला-उबर पर लगे मनमानी किराए के आरोपों से बचने के लिए सरकार एक पारदर्शी किराया प्रणाली लागू कर सकती है।
क्या ओला-उबर को मिलेगी कड़ी टक्कर?
ओला और उबर जैसी कंपनियों ने भारतीय बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बना रखी है। लेकिन सरकार द्वारा लाई जाने वाली यह नई टैक्सी सेवा मौजूदा निजी एग्रीगेटर्स के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है। सरकार के समर्थन और सहकारी समितियों की भागीदारी से यह सेवा ड्राइवरों और यात्रियों के लिए एक बेहतर विकल्प बन सकती है।