Odisha: CM पटनायक ने भारतीय हॉकी टीम को दी जीत की बधाई, ओलंपिक स्वर्ण जीतने में सक्षम टीम

डीएन ब्यूरो

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि भारत ओलंपिक में फिर स्वर्ण पदक जीत सकता है क्योंकि इस टीम में प्रतिभा और जज्बा दोनों हैं तथा यह भारतीय हॉकी का गौरव लौटाने का समय है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक


नयी दिल्ली: ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि भारत ओलंपिक में फिर स्वर्ण पदक जीत सकता है क्योंकि इस टीम में प्रतिभा और जज्बा दोनों हैं तथा यह भारतीय हॉकी का गौरव लौटाने का समय है। भारतीय हॉकी के संकटमोचक कहे जाने वाले पटनायक ने  कहा, ‘‘हॉकी हमारे डीएनए में है। समय आ गया है कि इसे और बढ़ावा दिया जाये। मैं जानता हूं कि बहुत से खेल देश में लोकप्रियता हासिल करने की होड़ में हैं लेकिन हॉकी का दर्जा खास है।’’

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार हॉकी को लेकर पटनायक का प्रेम किसी से छिपा नहीं है। भारतीय हॉकी पर जब-जब संकट आया, वह मदद के लिये आगे आये हैं। तोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद कांस्य पदक जीतने वाली पुरुष हॉकी टीम ने जब हांगझोउ एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर पेरिस ओलंपिक के लिये क्वालीफाई किया तो पटनायक का जिक्र किया जाना जरूरी है जिन्हें भारतीय हॉकी की दशा और दिशा बदलने का श्रेय जाता है।

पटनायक ने कहा, ‘‘यह भारतीय टीम ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीत सकती है। हम इस सपने को हकीकत में बदलने के लिये हॉकी इंडिया की पूरी मदद करेंगे।’’

दून स्कूल में पढ़ाई के दौरान बतौर गोलकीपर हॉकी खेलने वाले पटनायक भुवनेश्वर या राउरकेला में भारतीय टीम के मैचों के दौरान दर्शक दीर्घा में नजर आते हैं और बाहर मैच होने पर टीवी पर देखकर टीम का हौसला बढ़ाते हैं।

भारतीय पुरुष और हॉकी टीम के आधिकारिक प्रायोजक सहारा ने जब 2018 में हाथ खींच लिये थे तब ओडिशा सरकार ने भारतीय हॉकी का दामन थामा था। अब उन्होंने प्रायोजन 2033 तक बढ़ाने का फैसला लिया है।

हॉकी से अपने प्रेम के बारे में पटनायक ने कहा, ‘‘मैंने अपने पिता बीजू पटनायक से सीखा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कैसे राष्ट्र निर्माण में हॉकी की अहम भूमिका रही। खेल से मेरे प्रेम की शुरुआत वहीं से हुई। मैं स्कूल में बतौर गोलकीपर खेलता था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अधिकतर भारतीयों को लगता है कि हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है। इससे हमारा जज्बाती लगाव है। हॉकी को पूरे समर्थन की जरूरत है। जब भारतीय टीम ओलंपिक में खेलती है तो पूरा देश एकजुट हो जाता है।’’

आठ बार के चैम्पियन भारत ने आखिरी बार हॉकी में ओलंपिक स्वर्ण 1980 में मॉस्को में जीता था।

पटनायक ने कहा, ‘‘मुझे टीम को खेलते देखने में मजा आता है। मैं ओडिशा में होने वाले मैच स्टेडियम में देखता हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ओडिशा में हॉकी महज खेल नहीं, बल्कि जीवनशैली है। सुंदरगढ़ को भारतीय हॉकी की नर्सरी कहा जाता है। जब 2018 में भारतीय हॉकी के पास प्रायोजक नहीं था तो इसी लगाव के कारण हमने मदद का फैसला किया।’’

पटनायक ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि इससे टीम का प्रदर्शन ओलंपिक और एशियाई खेलों में बेहतर हुआ है।’’

ओडिशा पिछले पांच-छह साल में भारत में हॉकी की राजधानी बनकर उभरा है। यहां पुरुष विश्व कप 2018, 2023, चैम्पियंस ट्रॉफी 2014, एफआईएच ओलंपिक क्वालीफायर 2021 जैसे कई बडे़ टूर्नामेंट खेले गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ओडिशा में स्टेडियम खचाखच भरे रहते हैं। राउरकेला में स्थानीय टूर्नामेंट में भी दस हजार से अधिक दर्शक आते हैं। हमें उम्मीद है कि इसी उत्साह और जुनून से प्रदेश से चैम्पियन निकलते रहेंगे।’’

ओडिशा से दिलीप टिर्की, लाजरूस बारला, विलियम काल्को, नमिता टोप्पो, दीप ग्रेस इक्का और अमित रोहिदास जैसे कई खिलाड़ी निकले हैं।

पटनायक ने कहा, ‘‘पिछले कुछ साल में हमने ओडिशा को वैश्विक हॉकी का केंद्र बनाने की कोशिश की है। हमारे पास दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्टेडियम और कोचिंग केंद्र हैं। हम 2033 तक टीम के प्रायोजक हैं और टीमों की रैंकिंग बेहतर करने के लिये बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी करते रहेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम हॉकी में काफी निवेश कर रहे हैं। हमने जमीनी स्तर पर एस्ट्रो टर्फ के साथ 22 हॉकी प्रशिक्षण केंद्र बनाये हैं और कई बनाये जायेंगे। भुवनेश्वर और राउरकेला वैश्विक हॉकी केंद्र हैं।’’

पटनायक ने कहा, ‘‘महिला और पुरुष दोनों टीम अच्छा खेल रही हैं। उनकी मदद के लिये हम फरवरी में भुवनेश्वर और राउरकेला में प्रो लीग मैच की मेजबानी कर रहे हैं। इससे उन्हें ओलंपिक से पहले अच्छा अभ्यास मिलेगा।’’










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