नई दिल्ली: सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में रोल्स-रॉयस, अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की

डीएन ब्यूरो

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भारतीय वायुसेना और नौसेना के लिए हॉक 115 अत्याधुनिक जेट प्रशिक्षण विमान की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप में ब्रिटिश एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी रोल्स-रॉयस पीएलसी, इसकी भारतीय इकाई के वरिष्ठ अधिकारियों और शस्त्र विक्रेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

सीबीआई  (फाइल)
सीबीआई (फाइल)


नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भारतीय वायुसेना और नौसेना के लिए हॉक 115 अत्याधुनिक जेट प्रशिक्षण विमान की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप में ब्रिटिश एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी रोल्स-रॉयस पीएलसी, इसकी भारतीय इकाई के वरिष्ठ अधिकारियों और शस्त्र विक्रेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

प्राथमिकी के अनुसार, सीबीआई ने मामले में छह साल की जांच पूरी होने के बाद भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत रोल्स-रॉयस इंडिया के निदेशक टिम जोन्स, कथित हथियार आपूर्तिकर्ता सुधीर चौधरी और उनके बेटे भानु चौधरी तथा ब्रिटिश एयरोस्पेस सिस्टम्स के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

लंदन में रोल्स-रॉयस पीएलसी ने एक बयान में कहा कि वह भारतीय प्राधिकारियों के साथ सहयोग कर रही है।

रोल्स-रॉयस पीएलसी के एक प्रवक्ता ने लंदन में कहा, ‘‘सीबीआई द्वारा जिन आरोपों की जांच की जा रही है, उनका खुलासा 2017 में ब्रिटेन के सीरियस फ्रॉड कार्यालय के साथ हुए डेफर्ड प्रोसीक्यूशन एग्रीमेंट में किया गया था।’’

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘रोल्स-रॉयस आज मौलिक रूप से एक अलग कारोबार है। हम कारोबार में किसी प्रकार के कदाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे और उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत रोल्स-रॉयस के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है और हमारे पास देश में कुशल लोगों और साझेदारों की एक अहम पारिस्थितिकी है।’’

अधिकारियों ने बताया कि 2017 में एक ब्रिटिश अदालत ने भी समझौते को अंजाम देने के लिए कंपनी द्वारा कथित रूप से बिचौलिये को शामिल करने और कमीशन का भुगतान करने का जिक्र किया था।

आरोप है कि 2003 से 2012 के बीच साजिश में शामिल इन आरोपियों ने 73.42 करोड़ ब्रिटिश पाउंड की लागत से 24 हॉक 115 एजेटी की खरीद के लिए अज्ञात लोक सेवकों के साथ मिलकर ‘‘अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग’’ किया था।

इसके अलावा, उन्होंने निर्माता लाइसेंस शुल्क के नाम पर 30.82 करोड़ अमेरिकी डॉलर और 75 लाख अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त राशि के लिए रोल्स रॉयस को आपूर्ति की गई सामग्री के बदले हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के 42 अतिरिक्त विमानों के ‘लाइसेंस निर्माण’ की अनुमति दी।

सीबीआई की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि यह सौदा रोल्स रॉयस द्वारा बिचौलियों को दी गई ‘‘भारी भरकम रिश्वत, कमीशन और भ्रष्टाचार’’ के एवज में किया गया था, जबकि समझौते से संबंधित दस्तावेज में ‘‘बिचौलियों के भुगतान पर रोक’’ की बात कही गई थी।

एचएएल ने अगस्त 2008 से मई 2012 के बीच भारतीय वायु सेना को 42 विमान दिए।

जनवरी 2008 में एचएएल ने रक्षा मंत्रालय से 9,502 करोड़ रुपये की लागत से 57 अतिरिक्त हॉक विमान के निर्माण के लिए लाइसेंस देने का अनुरोध किया था, जिसमें से 40 विमान वायु सेना और 17 नौसेना के लिए था।

सीबीआई जांच से पता चला है कि 2006-07 में आयकर विभाग द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के दौरान रोल्स रॉयस इंडिया कार्यालय से लेन-देन से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए थे, लेकिन आरोपी व्यक्तियों ने जांच से बचने के लिए दस्तावेजों को नष्ट कर दिया और हटा दिया।

वर्ष 2012 में रोल्स रॉयस के संचालन में भ्रष्टाचार के आरोप संबंधी खबरें सामने आईं, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर धोखाधड़ी कार्यालय (एसएफओ), लंदन द्वारा एक जांच की गई।

सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि मिग विमान की खरीद को लेकर रूस के साथ रक्षा सौदों के लिए सुधीर चौधरी से जुड़ी कंपनी पोर्ट्समाउथ के नाम पर रूसी शस्त्र कंपनियों द्वारा एक स्विस खाते में 10 करोड़ ब्रिटिश पाउंड का भुगतान किया गया था।

 










संबंधित समाचार