लुटियंस दिल्ली में संचार टावर लगाने को लेकर एनडीएमसी ने जारी किए दिशानिर्देश

डीएन ब्यूरो

नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने लुटियंस दिल्ली में संचार टावर लगाने को लेकर 37 बिंदुओं वाले दिशानिर्देश जारी किये हैं। इनमें टावर लगाने के दौरान अपनाए जाने वाले नियम और विनियम बताए गए हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

लुटियंस दिल्ली (फाइल)
लुटियंस दिल्ली (फाइल)


नई दिल्ली: नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने लुटियंस दिल्ली में संचार टावर लगाने को लेकर 37 बिंदुओं वाले दिशानिर्देश जारी किये हैं। इनमें टावर लगाने के दौरान अपनाए जाने वाले नियम और विनियम बताए गए हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

परिषद द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक दस्तावेज़ में, नागरिक निकाय ने क्षेत्र में ''एकरूपता'' लाने के लिए संचार टावरों की स्थापना के संबंध में एनडीएमसी नीति निर्धारित की है।

दस्तावेज में उल्लेख किया गया है कि टावर और एंटीना इस तरीके से लगाए जाने चाहिए कि नयी दिल्ली इलाके की विरासत और सौंदर्य पर कोई प्रभाव ना पड़े।

एनडीएमसी इलाके में अनधिकृत ‘‘वाहनों पर मोबाइल टॉवर’’ (सीओडब्ल्यू) पर पाबंदी रहेगी।

एक अधिकारी ने कहा, ''एनडीएमसी ने एकरूपता लाने के लिए मोबाइल संचार टावर और उससे जुड़ी अवसंरचना को लेकर नीति जारी की है। यह नीति दूरसंचार विभाग द्वारा जारी दिशानिर्देश और संबंधित सभी कारकों के आधार पर जारी की गयी है।’’

दस्तावेज के अनुसार, एंटीना और टावर प्लॉट के सबसे पीछे होने चाहिए एवं उन्हें मुख्य प्रवेश और सड़क से नहीं दिखना चाहिए। साथ ही टावर को बिजली देने के लिए वहां डीजल जेनरेटरों की अनुमति नहीं होगी।

एनडीएमसी इलाके में सीओडब्ल्यू लगाने के लिए परिषद चिह्नित जगहों के लिए ई-नीलामी की प्रक्रिया अपनाएगी। इसमें शुरुआती तीन वर्षों के लिए मंजूरी मिलेगी जिसे भविष्य में दो वर्ष के लिए और बढ़ाया जा सकेगा।

दस्तावेज के अनुसार बिना अनुमति के लगाए गए मोबाइल टावरों को 10,000 रुपये प्रतिमाह के जुर्माने के साथ नए नियमों के अनुसार नियमित किया जाएगा।

अधिकारियों ने कहा कि टावर को लगाने और उसके नवीनीकरण पर पांच साल के लिए एक बार आज्ञा शुल्क तीन लाख रुपये देना होगा।

विरासत-सूचीबद्ध इमारतों के लिए, विरासत संरक्षण समिति से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) आवश्यक होगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण स्मारकों के 300 मीटर के दायरे में आने वाली इमारतों के लिए राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) की आवश्यकता होगी।

 










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