Gyanada Kakati: राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता इस बुजुर्ग अभिनेत्री जतायी अपने जीवन की ये ख्वाहिश

डीएन ब्यूरो

असम की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता 94 वर्षीय अभिनेत्री ज्ञानदा काकोटी की जीवन में एक बार फिर ‘लाइट और कैमरा ’ का सामना करने की ख्वाहिश है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

अभिनेत्री ज्ञानदा काकोटी
अभिनेत्री ज्ञानदा काकोटी


गुवाहाटी: असम की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता 94 वर्षीय अभिनेत्री ज्ञानदा काकोटी की जीवन में एक बार फिर ‘लाइट और कैमरा ’ का सामना करने की ख्वाहिश है।

निजी और पेशेवर जीवन में कई उतार-चढ़ाव के बावजूद सिल्वर स्क्रीन और उससे मिली प्रशंसा ही थी जिसने जीवन के मुश्किल पड़ाव में उन्हें थामे रखा। काकोटी ने रविवार को यहां अपने ऊपर बने वृत्तचित्र ‘ज्ञानदा : प्रकाश और छाया का प्रतिबिंब’ की स्क्रीनिंग पर यह कहा।

असमी और बंगाली भाषा की 20 से अधिक फिल्मों में अभिनय करने वाली काकोटी राज्य की पहली अभिनेत्री थीं जिन्हें 1960 में अनुभवी फिल्म निर्माता प्रभात मुखर्जी के निर्देशन वाली फिल्म ‘पूबेरन’ के लिए बर्लिन फिल्म महोत्सव में आमंत्रित किया गया था जहां उन्होंने हॉलीवुड अभिनेता कैरी ग्रांट और उस दौर की प्रख्यात फिल्म हस्तियों से मुलाकात की थी।

हालांकि, उनका यह सफर आसान नहीं था क्योंकि उन्होंने उस ‘‘जमाने में काम किया जब अच्छे परिवार की लड़कियों द्वारा फिल्मों में काम करने को ‘पाप’ माना जाता था’’ और उनके माता-पिता ने फिल्म जगत में आने के उनके फैसले का कड़ा विरोध किया था।

अभिनेत्री ने कहा, ‘‘मेरे पति दिवंगत लोहित काकोटी ही थे जिन्होंने मुझे प्रेरित किया और मुझे 1949 में उनके दोस्त की फिल्म ‘परघट’ में काम करने का सुझाव दिया।’’

बर्लिन जाने के लिए मिले निमंत्रण को याद करते हुए काकोटी ने कहा, ‘‘मैं इतनी उत्साहित थी कि मैं अपनी हवाई चप्पल पहनकर अपने पति के दफ्तर में उन्हें यह खबर देने दौड़ी। मैं हांफ रही थी और मेरे पति ने मुझे शांत करने के लिए एक गिलास में पानी दिया।’’

तत्कालीन वित्त मंत्री फखरुद्दीन अली अहमद ने कहा था, ‘‘मुझे नहीं मालूम कि फिल्म जाएगी या नहीं लेकिन हमारे कलाकार को जरूर जाना चाहिए।’’

काकोटी एक जानी-मानी गायिका भी है और उन्होंने कई लोकप्रिय गीत गाए हैं।

‘पूबेरन’ में अपनी भूमिका के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्ण से राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करने वाली अभिनेत्री ने पियोली फुकन, सोरापट, लखिमी, रोंगा पुलिस, शेष बिचार, प्रियजन जैसी कई फिल्मों में काम किया।

उन पर वृत्तचित्र बनाने वाली फिल्म निर्देशक बबीता शर्मा ने कहा कि 40 मिनट का यह वृत्तचित्र न केवल उनके जीवन बल्कि असम सिनेमा की यात्रा को फिल्माने का प्रयास है जो आने वाले कुछ वर्षों में 90 साल पूरे करेगा।

शर्मा ने कहा, ‘‘इस फिल्म को बनाने के पीछे भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक संग्रह के तौर पर एक प्रतिभावान कलाकार के जीवन को फिल्माने की वजह थी। यह असमी सिनेमा तथा संस्कृति की ओर उनके योगदान को सम्मान प्रदान करना है।’’










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