महराजगंज: खरमास में क्यों नहीं होते शुभ कार्य, देखिये प्रख्यात आचार्य विनोद त्रिपाठी की डाइनामाइट न्यूज़ से खास बातचीत

डीएन ब्यूरो

ज्योतिष में खरमास या खरवास मास का बेहद महत्व माना जाता है। खरमास में क्या करें और क्या न करें, इसकी जानकारी डाइनामाइट न्यूज़ के साथ बातचीत में बता रहे हैं प्रख्यात आचार्य विनोद त्रिपाठी



महराजगंज: खरमास या खरवास मास को लेकर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय मानी जाती है। आम धारणा है कि खरमास के दौरान शुभ मुहूर्त होने के बावजूद भी शुभ कार्य नहीं कर सकते हैं। खरमास के महत्व और इससे जुड़े तथ्यों को लेकर आचार्य विनोद त्रिपाठी ने डाइनामाइट न्यूज से खास बातचीत की और इससे जुड़े कई अहम तथ्यों को साझा किया। 

चार्य विनोद त्रिपाठी का कहना है कि शुक्र और शनि के अस्त होने पर खरवास मास होता है और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं कर सकते। इसका महत्व सूर्य के आधार पर माना जाता है। इसके आधार भी सूर्य के के उत्तरायण और दक्षिणायन में प्रवेश करना है।

एक मास में जब दो संक्रांति पड़ते है तो उसे छह मास कहते है। यह खरवास एक मास तक रहता है। एक मास में सूर्य अपनी राशि को एक बार बदलता है और बारह मास में बारह बार संचरण करता है। सूर्य के मकर राशि मे संचरण करने के बाद खरवास मास या खरमास समाप्त हो जाता है।  

आचार्य त्रपाठी का कहना है कि जब धनु राशि में सूर्य आता है तो खरवास मास का आगमन होता है और जब सूर्य मकर राशि में संचरण करने लगते है तो खरवास समाप्त हो जाता है। इस तरह सूर्य की गतियां और उसकी ऊर्जा हर जगह अपना प्रभाव छोड़ती है। इसलिये खरमास में कोई भी शुभ कार्य करना अच्छा नहीं माना जाता है।










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