Maha Shivratri-2024: महाशिवरात्रि पर इस तरह करें पूजा-पाठ, मिलेंगे कई लाभ, जानिये भगवान शिव का खास मंत्र
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि यानी फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन ही माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि का पर्व बहुत शुभ माना जाता है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिये महाशिवरात्रि पर पूजा-पाठ का विधान
नई दिल्ली: महाशिवरात्रि का पर्व इस बार फाल्गुन मास में 8 मार्च, शुक्रवार को मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान शिव की विधि-विधान से की गई पूजा का भक्तों को तत्काल लाभ मिलता है। भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करना इस दिन अत्यंत लाभकारी होता है।
कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो कोई भी भक्त व्रत करके भगवान भोलेनाथ का पूजन करता है, उस पर माता पार्वती और भगवान शिव की अति कृपा होती है। इस दिन सच्ची भक्ति और निष्ठा के साथ व्रत करने वालों से महादेव अवश्य प्रसन्न होते हैं
शिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग
भारतीय हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि 8 मार्च को पड़ रही है। इस बार दुर्लभ संयोग है क्योंकि इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती अपने सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और अपने भक्तों पर अति कृपा करते है।
भगवान शिव और पार्वती की पूजा विधि
इस दिन महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर और साफ कपडे पहनकर भोलेनाथ का ध्यान करना चाहिए। भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन हमें ध्यानपूर्वक करना चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं। उसके बाद भगवान शिव 8 लोटे केसर जल चढ़ाएं। पूरी रात अखंड दीपक जलाएं। चंदन का तिलक लगाएं। बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, आदि से भगवान शिव का पूजन करें।
महाशिवरात्रि का मंत्र
भक्तों को महाशिवरात्रि पर “ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए।
शिवमहापुराण भी पढ़ें
इस दिन भगवान शिव की अराधना करने के साथ-साथ सभी भक्तों को शिवमहापुराण भी पढना चाहिए। अगर संभव हो तो सभी भक्तों को रात्रि के समय जागरण करना चाहिए।