लोक सभा चुनाव 2019: मोदी के लिए तुरूप का इक्का साबित होगा 'स्वच्छ भारत अभियान'

विशाल सहाय

स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत करके पीएम मोदी ने देश के सबसे निचले तबके को अपने साथ जोड़ कर 2019 की हवा को पहले ही अपनी तरफ मोड़ लिया है। कांग्रेस जो ये मानकर चलती थी कि वो गरीबी हटाओ के अपने नारे के चलते इस वर्ग को वह अपने साथ हमेशा बनाये रखेगी, मोदी के इस अभियान से वह महज एक नारा बनकर रह गया है। 

स्वच्छ भारत अभियान में मोदी की सक्रिय भागीदारी
स्वच्छ भारत अभियान में मोदी की सक्रिय भागीदारी


नई दिल्ली: हर राजनैतिक दल आम चुनाव-2019 की तैयारी में लग गया है। सभी ने अपने-अपने तरीके से राजनीतिक अस्त्र-शस्त्र संवारने का काम तेज़ कर दिया है। जाति की गोटी सेट करने की राजनीति, साम्प्रदायिक उन्माद का सहारा लेकर विकास समेत हरेक वो मुद्दा सामने लाने की तैयारी की जा रही है, जो 2019 में राजनैतिक पार्टियों को वोट दिला सके। हर जरूरी मुद्दे को उठाने तथा भुनाने की तैयारी चल रही है। लेकिन इन सबके बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2019 के चुनावों की तैयारी का पहला वार 26 मई 2014 को ही कर दिया था। पिछले चार वर्ष के मोदी सरकार के काम काज़ पर नज़र डालें तो उनकी सरकार ने कई महत्वपूर्ण विकास कार्यों और जनकल्याण के काम किये हैं। जिनमें कुछ पूरे हो गये हैं, तो कुछ 2019 तक पूरे हो जायेंगे। इसमें सबसे महत्वपूर्ण कार्य है ‘स्वच्छ भारत अभियान‘।

 

मोदी के स्वच्छता अभियान को मिला देश वासियों का साथ

2 अक्टूबर 2014 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने ‘स्वच्छ भारत अभियान' की शुरूआत की, जब 15 अगस्त को लाल किले के भाषण में प्रधानमंत्री ने अपने इस अभियान की घोषणा की तो कुछ लोगों ने इस की तारीफ की, पर विपक्षी दलों मुख्य रूप से कांग्रेस को ये कतई पसन्द नहीं आया। स्वच्छ भारत अभियान को लेकर राहुल गांधी ने कटाक्ष करते हुए बोला था- नारों से कुछ नहीं होगा, किसी स्पष्ट रणनीति और कार्य योजना के अभाव में ये महज़ एक नारा बन जायेगा और देश स्वच्छ नहीं होगा। कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी क्या सोचेंगे, मोदी को यह सब पता था, क्योंकि इस अभियान में उस जाति-वर्ग को जोड़ना था, जो कांग्रेस के कई वर्षों के शासन के बाद भी गरीब और शोषित थे। कुछ दलों ने प्रधानमंत्री की इस सोच का मज़ाक तक उड़ाया, पर मोदी के इस अभियान को भारत की जनता ने खूब सराहा। लोगों ने इसे अपनाते हुए शहरों और गांवों को स्वच्छ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मोदी जानते थे कि इस अभियान को तभी सफल बनाया जा सकता है, जब इस अभियान के मुख्य सैनिक सफाई कर्मी अपना काम ठीक प्रकार से करें। नरेन्द्र मोदी ने न सिर्फ सफाई कर्मियों को अपने काम के प्रति प्रोत्साहित करने की कोशिश की बल्कि उनको रोजगार के कई अवसर भी दिये।

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स्वच्छ भारत अभियान का बजट काफी बड़ा था। शहरों और गांवों को स्वच्छ बनाने के लिये लोग कम थे तो केन्द्र सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत राज्य सरकारों को बजट उपलब्ध कराया, क्योंकि राज्य सरकारें खास तौर पर विपक्षी दलों की सरकारें इस अभियान पर अपनी तरफ से एक रूपया भी खर्च नहीं करना चाहती थी। इस अभियान में शौचालयों का निर्माण, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, गलियों व सड़कों की सफाई, देश के बुनियादी ढांचे को बदलना आदि कार्य शामिल किये गये।

पीएम मोदी सव्चछता अभियान की बागडोर खुद अपने हाथों में ली

 

वैसे तो यह एक राजनीति मुक्त अभियान था और देश भक्ति से प्रेरित। लेकिन इसके बावजूद भी, जैसा कि प्रधानमंत्री को विपक्ष हमेशा संदेह की नज़र से देखता है, वैसा ही इस अभियान के साथ भी  हुआ, पर प्रधानमंत्री मोदी के इस अभियान को भारत की जनता के साथ-साथ सफाई कर्मचारियों ने सफल बनाने का भरसक प्रयास किया।

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स्वच्छ भारत अभियान के तहत पूरे भारत में हर राज्यों को बड़े पैमाने पर ऐसे लोगों की भर्ती करनी थी, जो इस अभियान को पूरा करने में अपना सहयोग दे सकें। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का मानना था कि जब तक समाज के सबसे शोषित तथा पिछड़े व्यक्ति का उदय नहीं होगा, तब तक भारत में एक अच्छे समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। प्रधानमंत्री मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की ‘अन्त्योदय‘ की बात को आगे बढ़ाते हुए न सिर्फ सबसे वंचित तथा पिछड़े समाज के लोगों को इस अभियान से जोड़ा, बल्कि उस समाज को रोजगार के अवसर भी बड़ी मात्रा में प्रदान किये, यही प्रधानमंत्री मोदी की योजना थी। जिन्हें काम मिला, वह कभी नहीं चाहेंगे कि मोदी सरकार हट जाये, विपक्षी दल तो पहले से इस अभियान के विरोध में थे, तो मोदी सरकार के जाने से हो सकता है कि दूसरी सरकार इस अभियान को बन्द कर दे, ऐसा इन लोगों का मानना है।

स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत करके मोदी ने देश के सबसे निचले तबके को अपने साथ जोड़ कर 2019 की हवा को पहले ही अपनी तरफ मोड़ लिया है। विपक्ष खास तौर पर कांग्रेस जो ये मानकर चलती थी कि वो गरीबी हटाओ के अपने नारे के चलते इस वर्ग को वह अपने साथ हमेशा बनाये रखेगी, मोदी के इस अभियान से वह महज एक नारा बनकर रह गया है। मोदी ने अपने चार साल के शासन काल में देश के शोषित तथा वंचित लोंगो के लिए उनकी जीविका के साधन पैदा करने की सराहनीय कोशिश की। विपक्षी दल जो समाज को जाति, धर्म के नाम पर बांटकर और एक साथ मिल कर मोदी को हराने की सोच रहे है, उन्हे यह बात समझ लेनी चाहिये कि मोदी ने 2019 की लड़ाई 2014 में ही जीत ली है। 

                                                                                                                       (लेखक भारतीय विद्या भवन, नई दिल्ली केन्द्र के डिपार्टमेंट ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन स्टडीज से जुड़े हुए है) 










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