कोलकत्ता HC का RG Kar Case में CBI को निर्देश, जानें क्या है पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

कलकत्ता हाईकोर्ट ने RG Kar Case में सीबीआई को नए दिशा निर्देश देते हुए कहा कि अगली सुनवाई में केस डायरी को प्रस्तुत किया जाए। क्या होगा केस डायरी में । पढ़ें डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट

RG kar Rape case में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को फटकारा
RG kar Rape case में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को फटकारा


कलकत्ता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने RG Kar Case में सीबीआई को नए दिशा निर्देश देते हुए कहा कि अगली सुनवाई में केस डायरी को प्रस्तुत किया जाए। क्या होगा केस डायरी में । पढ़ें डाइनामाइट न्यूजं की पूरी रिपोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट में सोमवार को आरजीकर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने इस मामले की जांच के संबंध में सीबीआई को त किया है कि वह अगली सुनवाई में अपनी केस डायरी पेश करे। इस सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष ने सीबीआई से यह स्पष्ट रूप से पूछा कि क्या एजेंसी वर्तमान जांच में सामूहिक दुष्कर्म या सबूतों के विनाश की संभावनाओं की भी जांच कर रही है।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार,मामले में मृतका के परिजनों और याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में यह अनुरोध किया कि इस मामले की जांच अदालत की निगरानी में की जाए। उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट में आरोप-पत्र दाखिल करते समय सीबीआई ने संकेत दिया था कि इस अपराध में एक बड़ी साजिश का हाथ था। इसलिए, उन्होंने इस मामले की और गहन जांच की मांग की।

अगली सुनवाई 28 मार्च को 

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इस पर न्यायमूर्ति घोष ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के द्वारा दिए गए अनुरोधों पर विचार करने के लिए, सीबीआई द्वारा प्रस्तुत केस डायरी और जांच के मौजूदा चरण का अवलोकन किया जाएगा। उन्होंने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह अगली सुनवाई की तारीख, जो कि 28 मार्च है, पर सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किया जाए

जस्टिस ने सीबीआई के वकील से जांच का एंगल को जाना

इसके साथ ही, न्यायमूर्ति घोष ने सीबीआई के वकील से पूछा कि क्या जांच के दौरान सामूहिक बलात्कार या सबूतों के नष्ट होने की संभावनाओं पर विचार किया गया है। यह प्रश्न दर्शाता है कि अदालत इस मामले को गंभीरता से ले रही है और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

इस मामले में, संजय रॉय नामक पूर्व नागरिक स्वयंसेवक को पीड़िता के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोप में कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जनवरी माह में रॉय को दोषी ठहराते हुए सत्र न्यायालय ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

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न्यायमूर्ति घोष ने  क्या निर्देश दिया

न्यायमूर्ति घोष ने उप महाधिवक्ता (डीएसजी) को निर्देश दिया कि वे यह स्पष्ट करें कि क्या सीबीआई ने कभी भारतीय न्याय संहिता (आईपीसी) की धारा 370 (सामूहिक बलात्कार) के तहत इस मामले की जांच करने पर विचार किया है, यह देखते हुए कि एक व्यक्ति को पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है। न्यायमूर्ति घोष ने आगे पूछा कि क्या सीबीआई ने यह सुनिश्चित करने के लिए विचार किया है कि अपराध एक अकेले व्यक्ति द्वारा किया गया था या यह सामूहिक दुष्कर्म का मामला है।

इस प्रकार, अदालत द्वारा उठाए गए सवाल और निर्देश इस बात का प्रतीक हैं कि न्यायालय उच्चतम स्तर पर जांच की गुणवत्ता और पारदर्शिता की निगरानी कर रहा है, जिससे इस जघन्य मामले में न्याय सुनिश्चित हो सके


 










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