दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑटो चालकों के लिये अनिवार्य वर्दी के खिलाफ वाली याचिका पर जानिये क्या सुनाया फैसला

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को शहर में ऑटो रिक्शा और टैक्सी चालकों के लिए अनिवार्य वर्दी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

ऑटो चालकों के लिये अनिवार्य वर्दी के खिलाफ याचिका अदालत ने की खारिज
ऑटो चालकों के लिये अनिवार्य वर्दी के खिलाफ याचिका अदालत ने की खारिज


नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को शहर में ऑटो रिक्शा और टैक्सी चालकों के लिए अनिवार्य वर्दी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की एक पीठ ने याचिका खारिज कर दी और मौखिक टिप्पणी की है कि यह जनहित याचिका (पीआईएल) के घोर दुरुपयोग जैसा है।

उच्च न्यायालय का आदेश चालक संघ ‘चालक शक्ति’ की याचिका पर आया, जिसने ऑटो रिक्शा और टैक्सी चालकों के लिए अनिवार्य वर्दी को चुनौती दी है और आरोप लगाया है कि इस तरह का वर्गीकरण करना संविधान का उल्लंघन है।

याचिकाकर्ता के वकील ने पहले कहा था कि वर्दी निर्धारित करने से ड्राइवरों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कम हो जाती है और यह उनकी स्थिति के प्रतीक के रूप में भी काम करता है।

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा था कि वर्दी के संबंध में कुछ अनुशासन का पालन करना होगा।

उच्च न्यायालय ने पहले सरकारी वकील से यह स्पष्ट करने को कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में ऑटो चालकों के लिए खाकी या स्लेटी रंग की वर्दी निर्धारित है या नहीं।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय राजधानी में वर्दी नहीं पहनने पर ड्राइवरों पर 20,000 रुपये तक के भारी चालान काटे जा रहे हैं, जबकि इस विषय पर कानून अनिश्चित और अस्पष्ट है।










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