एशियाई खेलों को लेकर बैडमिंटन कोच गुरुसाईदत्त ने जानिये क्या कहा
एशियाई खेलों के लिए तैयारी में जुटे भारतीय बैडमिंटन कोच आरएमवी गुरुसाईदत्त का मानना है कि देश के पास हांगझोउ में पुरुषों की टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने का सर्वश्रेष्ठ मौका है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: एशियाई खेलों के लिए तैयारी में जुटे भारतीय बैडमिंटन कोच आरएमवी गुरुसाईदत्त का मानना है कि देश के पास हांगझोउ में पुरुषों की टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने का सर्वश्रेष्ठ मौका है।
भारत ने पिछले साल मई में थॉमस कप जीता था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार गुरुसाईदत्त ने कहा, ‘‘हम थॉमस कप चैम्पियन हैं और हमारे पास स्वर्ण पदक जीतने का सर्वश्रेष्ठ मौका है। लेकिन यह उस विशेष दिन और मुकाबले पर निर्भर करेगा और साथ ही टीम स्पर्धाओं में लय कैसी रहती है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई उच्च स्तर पर खेल चुका है और सभी खिलाड़ी सर्किट में अच्छा कर रहे हैं। यह देखकर अच्छा लगा कि हमें चौथी वरीयता मिली है जिससे हमें किसी को भी हराने का मौका मिलेगा। तैयारी अच्छी चल रही हैं, अब बस खेलने को तैयार हैं। ’’
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बतौर खिलाड़ी एशियाड पदक की उम्मीद लगाने से लेकर बतौर कोच इस महाद्वीपीय टूर्नामेंट में भारत के शीर्ष खिलाड़ियों को कोचिंग देने तक गुरूसाईदत्त के लिए सफर शानदार रहा है।
हैदराबाद के 33 साल के गुरूसाईदत्त 2010 और 2014 में दो एशियाई खेलों में खेल चुके हैं। पिछले साल जून में संन्यास लेने के बाद राष्ट्रमंडल खेलों के पूर्व कांस्य पदक विजेता ने कोचिंग देने का फैसला किया।
और कुछ ही समय में वह हैदराबाद में पुलेला गोपीचंद अकादमी में एचएस प्रणय और प्रिंयाशु राजावत जैसे खिलाड़ियों को निखारने लगे। वह 19वें एशियाई खेलों के लिए जाने वाले कोच में शामिल हैं।
उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘जब से मैंने कोचिंग देना शुरु किया है, यह काफी अच्छा रहा। मेरे लिए ‘टाइमिंग’ अच्छी रही। मैं बतौर कोच राष्ट्रीय शिविर में था। ’’
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गुरूसाईदत्त ने कहा, ‘‘मुझे मौका दिया गया, गोपी (भईया) का शुक्रिया कि उन्होंने मुझ पर भरोसा किया। बतौर खिलाड़ी मैंने काफी कुछ सीखा और लोगों ने मेरे अनुभव का समर्थन किया। ’’
वह इस समय शिविर में मुख्यत: प्रणय, राजावत और श्रीकांत पर ध्यान लगा रहे हैं जिन्होंने विश्व चैम्पियनशिप से पहले वहां अभ्यास करना शुरु किया।
उन्होंने कहा, ‘‘इन सीनियर खिलाड़ियों ने मेरा काफी सम्मान किया और मुझे काम करने की काफी स्वतंत्रता दी। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे मौका मिला और मुझे कोच बने डेढ़ साल ही हुए हैं। ’’