Jammu & Kashmir :डीएसएसपी कार्यकर्ताओं ने पार्टी अध्यक्ष के परिसरों पर ईडी की तलाशी के विरोध में प्रदर्शन किया

जम्मू-कश्मीर के कठुआ में डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी (डीएसएसपी) के कार्यकर्ताओं ने, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा एक शैक्षिक न्यास के खिलाफ जांच के सिलसिले में ली गई तलाशी के विरोध में प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि यह कार्रवाई पूर्व मंत्री लाल सिंह को चुप कराने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक चाल है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 17 October 2023, 3:46 PM IST
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कठुआ: जम्मू-कश्मीर के कठुआ में डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी (डीएसएसपी) के कार्यकर्ताओं ने, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा एक शैक्षिक न्यास के खिलाफ जांच के सिलसिले में ली गई तलाशी के विरोध में प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि यह कार्रवाई पूर्व मंत्री लाल सिंह को चुप कराने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक चाल है।

जिस शैक्षिक न्यास के खिलाफ जांच के सिलसिले में तलाशी ली गई है उसका संचालन पूर्व मंत्री लाल सिंह की पत्नी कांता अंदोत्रा करती हैं। लाल सिंह डीएसएसपी के अध्यक्ष हैं।

जांच एजेंसी ने मंगलवार को आरबी शैक्षिक न्यास, इसकी अध्यक्ष कांता अंदोत्रा, एक पूर्व राजस्व अधिकारी रविंदर एस के खिलाफ मामले में जम्मू, कठुआ और पंजाब के पठानकोट में लगभग आठ परिसरों पर छापेमारी की।

जैसे ही कठुआ में सिंह के आवास पर ईडी की तलाशी की खबर फैली, बड़ी संख्या में डीएसएसपी कार्यकर्ता उनके घर के बाहर एकत्र हो गए और विरोध प्रदर्शन करने लगे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार डीएसएसपी के एक नेता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह निंदनीय एवं शर्मनाक है। यह लाल सिंह की आवाज को दबाने के लिए है। पहले उन्होंने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का इस्तेमाल किया और अब वे उनके खिलाफ ईडी का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन और भाजपा की ओर से डोगरा समुदाय पर हमला है।’’

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पार्टी कभी भी भाजपा के आगे नहीं झुकेगी और उसके खिलाफ लड़ती रहेगी।

धन शोधन का यह मामला अक्टूबर 2021 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से आरोपपत्र दायर से जुड़ा है, जिसमें जम्मू और कश्मीर कृषि सुधार अधिनियम, 1976 की धारा 14 के तहत लगाई गई 100 मानक कनाल की अधिकतम सीमा के उल्लंघन के संबंध में विवरण का उल्लेख किए बिना चार जनवरी से सात जनवरी 2011 के बीच जमीन के दस्तावेज में हेरफेर के लिए आपराधिक मिलीभगत का आरोप लगाया गया था। इससे न्यास को अनुचित आर्थिक लाभ मिला।

सीबीआई के आरोपपत्र में दावा किया गया था कि इसके आधार पर न्यास ने पांच जनवरी और सात जनवरी 2011 को निष्पादित तीन ‘उपहार डीड’ के माध्यम से लगभग 329 कनाल भूमि के कई खंड हासिल किए।

सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को जिन परिसरों की तलाशी ली गई उनमें न्यास, उसकी अध्यक्ष, भूमि दाताओं, भूमि दाताओं की ओर से पावर ऑफ अटॉर्नी धारकों, कार्यों को निष्पादित करने वाले गवाह, कार्यों को निष्पादित करने के लिए आरबी शैक्षिक न्यास को गलत तरीके से दस्तावेज जारी करने वाले तत्कालीन पटवारी के परिसर शामिल हैं।

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