भारतीय मूल के व्यक्ति को सिंगापुर के जेल में दी गई फांसी, जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

सिंगापुर में भारतीय मूल के एक मादक पदार्थ तस्कर को बुधवार को फांसी दे दी गई। अदालत ने सजा माफ करने के लिए दोषी तस्कर की ओर से आखिरी समय में दाखिल अर्जी मंगलवार को खारिज कर दी थी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

सिंगापुर में भारतीय मूल के थंगाराजू सुपैय्या  फांसी  दी
सिंगापुर में भारतीय मूल के थंगाराजू सुपैय्या फांसी दी


सिंगापुर: सिंगापुर में भारतीय मूल के एक मादक पदार्थ तस्कर को बुधवार को फांसी दे दी गई। अदालत ने सजा माफ करने के लिए दोषी तस्कर की ओर से आखिरी समय में दाखिल अर्जी मंगलवार को खारिज कर दी थी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार थंगाराजू सुपैय्या (46) को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने अक्टूबर 2018 में मादक पदार्थ की तस्करी की साजिश रचने के लिए एक साथी को उकसाने के मामले में दोषी ठहराया गया था। यह साजिश उसे एक किलोग्राम भांग की आपूर्ति से जुड़ी थी, जो औषधीय पदार्थों का दुरुपयोग अधिनियम के तहत एक अपराध है।

सुपैय्या को 2014 में मादक पदार्थ का सेवन करने और जांच के लिए न पहुंचने के आरोप में हिरासत में लिया गया था।

‘चैनल न्यूज एशिया’ ने सिंगापुर कारागार सेवा की ओर से जारी एक बयान के हवाले से बताया कि सुपैय्या को बुधवार सुबह चांगी कारागर परिसर में फांसी दी गई।

चैनल पर प्रसारित खबर के मुताबिक, सिंगापुर की एक अदालत ने मंगलवार को सुपैय्या की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने अपने मामले में पुनर्विचार करने और तब तक सजा के अमल पर रोक लगाने की मांग की थी। 15 पन्नों के अपने आदेश में न्यायमूर्ति चोंग ने कहा था कि सुपैय्या अदालत द्वारा अपने मामले की समीक्षा करने के लिए एक वैध आधार पेश करने में नाकाम रहा था।

ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैंसन और मानवाधिकारों के लिए संयुक्त उच्चायुक्त ने सिंगापुर से सुपैय्या को फांसी देने के फैसले पर पुनर्विचार करने और उसके जीवन के अधिकार की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया था।

ब्रैंसन ने एक ब्लॉग पोस्ट में दावा किया था कि सुपैय्या की दोषसिद्ध मानकों के अनुरूप नहीं है और “सिंगापुर एक बेगुनाह इंसान को मारने जा रहा है।”

हालांकि, सिंगापुर के गृह मंत्रालय ने ब्रैंसन की टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए मंगलवार को कहा था कि मौत की सजा पाने वाले सिंगापुर के एक व्यक्ति के संबंध में ब्रैंसन की राय देश के न्यायाधीशों और आपराधिक न्याय प्रणाली का ‘अपमान’ है।










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