Indian Automobile Sector: मंदी से गुजर रहे भारतीय ऑटोमोबाइल सैक्टर को रफ्तार पकड़ने में लगेगा समय

कोरोना संकट और लॉकडाउन जैसे कारणों से अन्य उद्योगों की तरह ही कार बाजार समेत समूचे ऑटोमोबाइल सैक्टर को भारी परेशानियों से जूझना पड़ा है। एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक इस सैक्टर को रफ्तार पकड़ने में अभी समय लग सकता है। डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 30 January 2021, 1:13 PM IST
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नई दिल्ली: कोरोना संकट समेत लॉकडाउन जैसे कारणों से विश्व और भारत के सभी उद्योग धंधों पर बेहद बुरा असर पड़ा है। औद्योगिक और बाजार की गतिविधियों के लंबे समय तक पटरी से उतर जाने के कारण वाहन उद्योग को भी भारी परेशानियों से जूझना पड़ा। लेकिन अब जबकि आर्थिक और कारोबारी मोर्चों पर सभी गतिविधियों में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, इसके बावजूद भी देश का वाहन उद्योग अब भी मंदी के दौर से गुजर रहा है।

देश के वाहन निर्माताओं के सबसे बड़े संगठन सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) ने अपने एक ताजा शोध में कहा है कि देश के ऑटोमोबाइल क्षेत्र को रफ्तार पकड़ने में अभी और लंबा समय लगेगा। सियाम का कहना है कि भारत में वाहन उद्योग एक दीर्घकालिक संरचनात्मक मंदी से गुजर रहा है, क्योंकि सभी प्रमुख वाहन श्रेणियों में पिछले तीन दशक के दौरान चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) में गिरावट देखी गई है। इसलिये इस सैक्टर को गति पकड़ने में और समय लग सकता है।

सियाम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वाहन उद्योग कोविड-19 संकट से पहले ही मुश्किल हालात से गुजर रहा था और पिछले साल शुरू कोरोना महामारी ने पूरे क्षेत्र को ही पटरी से उतार दिया। महामारी और लॉकडाउन ही वाहन क्षेत्र की मंदी का एकमात्र कारण नहीं है, बल्कि इसे गहन संरचनात्मक मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। 2019-20 के दौरान कुल 27.7 लाख यात्री वाहन बिके, जो चार साल का निचला स्तर है।  

शोध के मुताबिक, पिछले तीन दशकों के दौरान यात्री वाहनों, वाणिज्यिक वाहनों, तिपहिया और दोपहिया वाहनों सहित सभी श्रेणियों की सालाना वृद्धि दर में लगातार गिरावट दर्ज की गई। घरेलू यात्री वाहन उद्योग की  चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर 1989-90 और 1999-2000 के दौरान 12.6 फीसदी रही थी। हालांकि, यह आंकड़ा 1999-2000 और 2009-10 के दशक के बीच घटकर 10.3 फीसदी रह गया। आखिरी दशक में वृद्धि दर और कम होकर 3.6 फीसदी रह गई।

पिछले पांच साल के दौरान हालात और खराब हुए हैं। 2004-05 से 2009-10 के दौरान घरेलू यात्री वाहन उद्योग का सीएजीआर 12.9 फीसदी था, जो 2009-10 से 2014-15 के बीच घटकर 5.9 फीसदी पर आ गया। 2014-15 और 2019-20 के बीच यह और कम होकर महज 1.3 फीसदी रह गया। 
 

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