IIT Madras: दिव्यांग अब बिना किसी सहारे के हो सकेंगे खड़े, पहली स्वदेशी इलेक्ट्रिक स्टैंडिंग व्हीलचेयर विकसित

डीएन ब्यूरो

मद्रास भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-मद्रास) ने भारत की सबसे अनुकूलन योग्य इलेक्ट्रिक स्टैंडिंग व्हीलचेयर 'नियोस्टैंड' बनायी है, जिसे व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं के लाभ के लिए स्वदेशी रूप से बनाया गया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

पहली स्वदेशी इलेक्ट्रिक स्टैंडिंग व्हीलचेयर विकसित
पहली स्वदेशी इलेक्ट्रिक स्टैंडिंग व्हीलचेयर विकसित


चेन्नई: मद्रास भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-मद्रास) ने भारत की सबसे अनुकूलन योग्य इलेक्ट्रिक स्टैंडिंग व्हीलचेयर 'नियोस्टैंड' बनायी है, जिसे व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं के लाभ के लिए स्वदेशी रूप से बनाया गया है।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार आईआईटी परिसर में बुधवार शाम को आईआईटी-मद्रास के निदेशक प्रो.वी.कामाकोटी, प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों, इस परियोजना के उदार समर्थकों, संकाय, शोधकर्ताओं और इन पुनर्वास उपकरणों के उपयोगकर्ताओं की उपस्थिति में 'नियोस्टैंड' को लॉन्च किया गया।
नियोस्टैंड एक कॉम्पैक्ट स्टैंडिंग व्हीलचेयर है जिसमें मोटराइज्ड स्टैंडिंग मैकेनिज्म से आसान नेविगेशन संभव है।

यह एक ऐसी व्हीलचेयर है जिसमें सिर्फ एक बटन के स्पर्श से उपयोगकर्ता आसानी से बैठने से खड़े होने की स्थिति में आ सकते हैं। इसकी मदद से दिव्यांग बंधुओं के लिए आसानी से खड़े होकर लोगों से आंख से आंख मिलाकर संवाद करने, किसी किताब काे उठाने और काउंटर पर खड़े होकर काॅफी का मजा लेने जैसे अनुभव कर पाना संभव हो पायेगा।

व्हीलचेयर तैयार करने का यह काम टीटीके सेंटर फॉर रिहैबिलिटेशन रिसर्च एंड डिवाइस डेवलपमेंट (आर2डी2) और आईआईटी मद्रास की प्रोफेसर सुजाता श्रीनिवासन के नेतृत्व में किया गया है।

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इस उपकरण का व्यवसायीकरण कर दिया गया है और इसे आईआईटी मद्रास-इनक्यूबेटेड स्टार्ट-अप नियोमोशन के माध्यम से बाजार में लाया जा रहा है।

लॉन्च कार्यक्रम को संबोधित करते हुये प्रोफेसर कामकोटि ने कहा, “ यह आईआईटी मद्रास के संकाय द्वारा निर्देशित बहुत महत्वपूर्ण शोध कार्य हैं जिनका बहुत बड़ा सामाजिक प्रभाव रहेगा।”

क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर के एसोसिएट मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, डॉ. हेनरी प्रकाश ने कहा, “आज जब हम पहुंच, सामर्थ्य और सामाजिक दृष्टिकोण की जटिलताओं से निपट रहे हैं, तो हमें यह बात माननी पड़ेगी कि इसमें प्रगति हुई है।

सहायक प्रौद्योगिकी का क्षेत्र न केवल तकनीकी अनिवार्यता है, बल्कि एक नैतिक अनिवार्यता भी है।”

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यह परियोजना टाटा एलेक्सी द्वारा अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी पहल के तहत प्रायोजित की गई थी।

इसके विकास और डिजाइन का नेतृत्व आईआईटी मद्रास में टीटीके सेंटर फॉर रिहैबिलिटेशन रिसर्च एंड डिवाइस डेवलपमेंट (आर2डी2) और नियोमोशन ने किया, जिसने इस उत्पाद को बाजार में लाने का बीड़ा उठाया।

टाटा एलेक्सी के अध्यक्ष ने कहा, “दिव्यांगों के लिए एक नए उत्पाद का लॉन्च बेहद महत्वपूर्ण है और चलने फिरने में असमर्थ लोगों के समावेश और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का हमारा एक प्रयास है।”










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