अगर जरा भी नैतिकता बाकी है तो उद्धव गुट के विधायक इस्तीफा देकर चुनाव लड़ें: शिवसेना
महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का इस्तीफा मांगे जाने को लेकर सत्तारूढ़ शिवसेना ने उद्धव ठाकरे गुट पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर उनमें (उद्धव गुट के विधायकों में) जरा भी नैतिकता बाकी है तो वो इस्तीफा देकर चुनाव का सामना करें।
मुंबई: महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का इस्तीफा मांगे जाने को लेकर सत्तारूढ़ शिवसेना ने उद्धव ठाकरे गुट पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर उनमें (उद्धव गुट के विधायकों में) जरा भी नैतिकता बाकी है तो वो इस्तीफा देकर चुनाव का सामना करें।
शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने मुख्यमंत्री के बेटे समेत पार्टी के कई नेताओं को संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर शिवसेना (यूबीटी) पर पलटवार के लिए मैदान में उतारा।
शिवसेना ने प्रेसवार्ता में पूछा कि चुनाव पूर्व हुए गठबंधन को तोड़ना, जिसके तहत ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर वोट मांगा, और फिर 2019 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लेना, क्या यह राज्य के लोगों के साथ विश्वासघात नहीं था।
कल्याण से सांसद एवं मुख्यमंत्री शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ने आरोप लगाया कि ठाकरे लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे थे ताकि उनके गुट से अलग हुए लोग सत्तारूढ़ शिवसेना में शामिल न हो जाएं।
श्रीकांत शिंदे ने दावा किया कि महाराष्ट्र में 11 महीने पुरानी शिवसेना-भाजपा सरकार ‘‘वैध है और संवैधानिक मानदंडों के अनुसार बनी है तथा उच्चतम न्यायालय ने इस पर अपनी मुहर लगा दी है।’’
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उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद विपक्षी दल शिवसेना (यूबीटी) ने महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिरने के बाद जून 2022 में बनी शिवसेना-भाजपा सरकार को ‘‘असंवैधानिक और अवैध’’ करार दिया है। शिवसेना (यूबीटी) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का इस्तीफा मांगा है।
श्रीकांत शिंदे ने कहा कि ठाकरे गुट के विधायकों को इस्तीफा देकर दोबारा चुनाव लड़ना चाहिए।
प्रेसवार्ता के दौरान शिवसेना नेता एवं उद्योग मंत्री उदय सामंत ने कहा कि विरोधी खेमे को नैतिकता पर उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं है।
सामंत ने कहा, ‘‘जिनमें नैतिकता नहीं है वे दुनिया को इसका उपदेश दे रहे हैं। उनका दोहरा मापदंड यह है कि आप (ठाकरे) नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री का पद छोड़ दें और फिर अदालत से आपको (ठाकरे को) बहाल करने का अनुरोध करें।’’
उल्लेखनीय है कि पिछले साल शिवसेना के एकनाथ शिंदे की बगावत की वजह से उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली एमवीए सरकार गिर गयी थी। शिंदे ने बाद में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई। नई सरकार में शिंदे ने मुख्यमंत्री पद तथा भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
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उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन एमवीए सरकार को बहाल नहीं कर सकता क्योंकि उन्होंने पिछले साल जून में शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था।
न्यायालय ने महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसलों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उनके पास इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए ऐसी कोई सामग्री नहीं थी कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकरे ने सदन का विश्वास खो दिया था।