Personal Information Protection: कंपनियों के लिए कितना लाभकारी साबित होगा व्यक्तिगत जानकारी संरक्षण विधेयक, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

विशेषज्ञों का कहना है कि प्रस्तावित व्यक्तिगत जानकारी संरक्षण विधेयक कंपनियों को अपने मौजूदा कामकाज के तरीकों की समीक्षा करने और नयी प्रक्रियाओं में निवेश के लिए मजबूर करेगा। इसके अलावा व्यक्तिगत आंकड़ों को संभालने में कार्यबल को संवेदनशील बनाने पर भी जोर दिया जाएगा। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: विशेषज्ञों का कहना है कि प्रस्तावित व्यक्तिगत जानकारी संरक्षण विधेयक कंपनियों को अपने मौजूदा कामकाज के तरीकों की समीक्षा करने और नयी प्रक्रियाओं में निवेश के लिए मजबूर करेगा। इसके अलावा व्यक्तिगत आंकड़ों को संभालने में कार्यबल को संवेदनशील बनाने पर भी जोर दिया जाएगा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह विधेयक बृहस्पतिवार को संसद में पेश किया गया। इस विधेयक में आंकड़ों का रखरखाव और प्रसंस्करण करने वाली इकाइयों के लिये जवाबदेही के साथ लोगों के अधिकारों को भी स्पष्ट किया गया है। इसके मुताबिक, कोई भी इकाई अगर नागरिकों से संबंधित डिजिटल सूचना या आंकड़ों का दुरुपयोग करती है या उसका संरक्षण करने में विफल रहती है, तो उस पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।

डेलॉयट इंडिया में साझेदार मनीष सहगल ने विधेयक का स्वागत करते हुए कहा, 'भारतीयों को सेवाएं देने वाली विदेशी कंपनियों को भी यह विधेयक लागू होने के बाद इसके प्रावधानों का पालन करना होगा।'

उन्होंने कहा कि कंपनियों को अपने कामकाज के मौजूदा तौर-तरीकों की समीक्षा करनी होगी। खासकर कर्मचारियों, ग्राहकों, व्यापारियों और विक्रेताओं के व्यक्तिगत जानकारी तक पहुंच, उन्हें अद्यतन करने और उनके व्यक्तिगत जानकारी को मिटाने के अधिकार का सम्मान करना होगा।

प्रौद्योगिकी फर्म टेक व्हिस्परर के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जसप्रीत बिंद्रा ने कहा कि भारत उन कुछ देशों में से एक है जहां गोपनीयता को अपने नागरिकों का मौलिक अधिकार घोषित किया गया है।

उन्होंने व्यक्तिगत जानकारी संरक्षण बोर्ड गठित किए जाए जाने के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा कि इसमें पेशेवरों की मौजूदगी के बावजूद क्रियान्वयन के स्तर पर चुनौतियों का सामना करना होगा।

बिंद्रा ने कहा, 'प्रौद्योगिकी नियमों की तुलना में कहीं अधिक तेज रफ्तार से बढ़ती है। ऐसे में विनियमन को प्रभावी और तेजी से लागू करना एक चुनौती है।''

प्रौद्योगिकी शोध संस्थान 'द डायलॉग' के संस्थापक निदेशक काजिम रिजवी ने इस विधेयक में शामिल किए गए कई पहलुओं की सराहना करने के साथ ही कुछ अन्य प्रावधानों पर स्पष्टता की मांग की।

रिजवी ने कहा, 'कॉरपोरेट नियमों को बाध्यकारी बनाने, अनुबंध संबंधी शर्तों जैसे तंत्र को स्पष्ट करना और भी मददगार होगा।'










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