

मेघालय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को पर्वतीय राज्य में कोयले के अवैध खनन में शामिल ‘‘सरगनाओं’’ को गिरफ्तार करने में असम पुलिस की मदद लेने को कहा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
शिलांग: मेघालय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को पर्वतीय राज्य में कोयले के अवैध खनन में शामिल ‘‘सरगनाओं’’ को गिरफ्तार करने में असम पुलिस की मदद लेने को कहा है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इस मामले पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य में अवैध खनन में लगे लोग छोटे-मोटे संचालक हैं और पूरा काम बाहर से सरगनाओं द्वारा नियंत्रित होता है।
आदेश में कहा गया है, ‘‘यही वजह है कि उसने (अदालत) पहले संकेत दिया था कि अवैध गतिविधियों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो से कराए जाने का निर्देश दिया जा सकता है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘अगर राज्य इस मुद्दे से निपटने को लेकर गंभीर है तो राज्य पुलिस न केवल दोषियों को गिरफ्तार करने के लिए बल्कि कहीं ओर से काम कर रहे ऑपरेटर द्वारा राज्य के छोटे खनिकों के दोहन को रोकने के लिए एक संयुक्त अभियान चलाने के वास्ते असम पुलिस की मदद ले सकती है।’’
गैरकानूनी खनन पर प्रतिबंध के कारण आजीविका गंवाने के मुद्दे पर पीठ ने कहा कि यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह आजीविका के वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध कराने के लिए उचित कदम उठाएं।
वहीं, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी पी कटेकी ने अवैध खनन गतिविधियों की शिकायतें मिलने के बाद दक्षिण गारो पर्वतीय जिले में नोंगलबिबरा के अवैध कोयला खनन इलाके का दौरा किया।
उन्होंने कहा, ‘‘वैज्ञानिक खनन की आड़ में अवैध खनन गतिविधियों की मंजूरी नहीं दी जा सकती है, उम्मीद है कि सरकार अवैध खनन का पता लगाने के लिए ड्रोन सर्वेक्षण जारी रखेगी क्योंकि अभी तक राज्य में कोई खनन विधिसम्मत नहीं है।’’
न्यायमूर्ति कटेकी ने कहा कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण को सौंपी अपनी छह रिपोर्ट में उन्होंने बांग्लादेश को कोयले के गैरकानूनी निर्यात के संबंध में जांच कराने की सिफारिश की है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सरकार से इस संबंध में उठाए कदमों के बारे में पूछा है और मुझे राज्य सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब मिलने की उम्मीद है।’’
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