उच्च न्यायालय ने 150 साल पुरानी मस्जिद को गिराए जाने की आशंका संबंधी याचिका पर कार्यवाही बंद की

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुनहरी बाग रोड चौराहे पर 150 साल पुरानी मस्जिद को गिराने की आशंका वाली दिल्ली वक्फ बोर्ड की याचिका पर सोमवार को कार्यवाही बंद कर दी, क्योंकि शहर के नगर निकाय ने कहा कि याचिकाकर्ता की आशंका का कोई आधार नहीं है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

दिल्ली उच्च न्यायालय
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नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुनहरी बाग रोड चौराहे पर 150 साल पुरानी मस्जिद को गिराने की आशंका वाली दिल्ली वक्फ बोर्ड की याचिका पर सोमवार को कार्यवाही बंद कर दी, क्योंकि शहर के नगर निकाय ने कहा कि याचिकाकर्ता की आशंका का कोई आधार नहीं है।

दिल्ली वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा कि उन्हें नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) द्वारा कानूनी स्थिति के बाहर कार्रवाई किए जाने की आशंका है और अदालत को 'ऐसी मनमानी तथा अवैध कार्रवाई' रोकनी चाहिए।

एनडीएमसी के वकील ने इस दलील का पुरजोर विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ता के पास यह आशंका करने का कोई आधार नहीं है कि प्रतिवादी कानूनी स्थिति से हटकर कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि यदि अधिकारियों को कोई कार्रवाई करनी होगी, तो वे मौजूदा नियमों का पालन करने के लिए बाध्य हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने एनडीएमसी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा का बयान दर्ज करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।

उच्च न्यायालय ने कहा, “चूंकि पक्ष उपरोक्त मुद्दे पर काफी हद तक सहमत हैं, इसलिए इस स्तर पर, इस अदालत को अब याचिका पर फैसला देने की आवश्यकता नहीं है। तदनुसार, पक्षों को यहां दर्ज बातों का पालन करने का निर्देश दिया जाता है। याचिका का निपटारा किया जाता है।’’

दिल्ली वक्फ बोर्ड का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने किया।

एनडीएमसी ने अदालत को बताया था कि एक संयुक्त निरीक्षण किया गया था, जिसके दौरान यह पाया गया कि मस्जिद को हटाने की आवश्यकता है और भूमि का उपयोग यातायात के सुरक्षित एवं सुचारू प्रवाह के लिए किया जाना चाहिए।

इसने याचिका के जवाब में पहले कहा था कि उसने यातायात में वृद्धि के मद्देनजर दिल्ली यातायात पुलिस के पत्र पर कार्रवाई की और दो बार संयुक्त निरीक्षण किया गया।

नगर निकाय ने कहा था कि संबंधित अधिकारियों ने सर्वसम्मति से निष्कर्ष निकाला कि धार्मिक संरचना को हटाने/स्थानांतरित करने की आवश्यकता है।

याचिका में यह भी दावा किया गया कि हाल ही में कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना कई वक्फ संपत्तियों को ‘‘रातोंरात ध्वस्त कर दिया गया।’’










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