नई दिल्ली: दशहरा (Dussehra) का त्योहार (Festival) देश भर में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया (Celebrated) जा रहा है। नवरात्र में मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद दशहरा का उत्सव मनाया जाता है। हर साल यह त्योहार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 12 अक्टूबर के दिन यानी शनिवार को है। इस शुभ अवसर पर भगवान श्रीराम (Lord Shri Ram) की पूजा की जाती है। मंदिरों को भव्य से तरीके सजाया जाता है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार नवरात्रि के नौ दिनों बाद 10वें दिन देश के अलग-अलग कोनों में रावण दहन और मेलों का आयोजन होता है। इस दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। दशमी के दिन दुर्गा पंडालों पर विशेष पूजा होती है। स्त्रियां मां दुर्गा को सिंदूर चढ़ाती हैं और फिर एक-दूसरे को भी सिंदूर लगाती हैं। इसे सिंदूर खेला कहा जाता है। इसके बाद दुर्गा मां की प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है।
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक
शास्त्रों के अनुसार दशहरा के दिन भगवान श्रीराम ने दशानन रावण का वध किया था। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है। इसके बाद से ही हर साल इस दिन को दशहरा के रूप में मनाया जाता है। इस उपलक्ष्य पर दशहरा मनाया जाता है।
जानकारी के अनुसार इस दिन क्षत्रिय शस्त्र पूजा करते हैं, जबकि ब्राह्मण शास्त्रों का पूजन करते हैं। वहीं व्यापार से जुड़े वैश्य लोग अपने प्रतिष्ठान और गल्ले की पूजा करते हैं। साथ ही नई दुकान या कारोबार का शुभारंभ भी करते हैं।
दरअसल, प्राचीन काल में क्षत्रिय युद्ध पर जाने के लिए इस दिन का ही चुनाव करते थे। ब्राह्मण दशहरा के ही दिन विद्या ग्रहण करने के लिए अपने घर से निकलता था। मान्यता है कि दशहरा के दिन शुरू किए गए काम में विजय अवश्य मिलती है। विजयदशमी पर शमी के वृक्ष की पूजा का भी विधान है। इसलिए ये पर्व देशवासियों के लिए खास है।
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