जीई एयरोस्पेस-एचएएल समझौते से भारत को होगा इतना बड़ा फायदा
अमेरिकी रक्षा कंपनी जीई एयरोस्पेस हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ हुए अपने समझौते के तहत एफ 414 लड़ाकू जेट इंजन के उत्पादन के लिए 80 प्रतिशत प्रौद्योगिकी भारत को हस्तांतरित करेगी। रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: अमेरिकी रक्षा कंपनी जीई एयरोस्पेस हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ हुए अपने समझौते के तहत एफ 414 लड़ाकू जेट इंजन के उत्पादन के लिए 80 प्रतिशत प्रौद्योगिकी भारत को हस्तांतरित करेगी। रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) एयरोस्पेस ने भारतीय वायुसेना के लिए संयुक्त रूप से लड़ाकू जेट इंजन का उत्पादन करने के लिए बृहस्पतिवार को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
यह भी पढ़ें |
GE Aerospace's and HAL Deal: भारत में होगा युद्धक विमानों के इंजन का संयुक्त उत्पादन
इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की मौजूदा राजकीय यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए।
रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘‘इस समझौते के साथ, हमें जीई 414 इंजन बनाने में 80 प्रतिशत प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण होगा, जो हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) एमकेआईआई के परिचालन प्रदर्शन को बढ़ाएगा। ’’
यह भी पढ़ें |
जी20 डिजिटल अर्थव्यवस्था के तहत भारत ने इन चार देशों के साथ किया खास समझौता
उन्होंने कहा, ‘‘जेट इंजन के छोटे उपकरणों को छोड़कर 80 प्रतिशत इंजन भारत में बनाया जाएगा। हम समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हैं और तीन साल के भीतर भारत के पास यह इंजन होगा। जीई-एचएएल समझौते का महत्व इस तथ्य में निहित है कि भारत को अत्याधुनिक तकनीकों तक पहुंच मिलेगी।’’