उग्रवाद रोधी अभियान के दौरान मारे गये थे पांच युवक, भारतीय सेना की पीड़ित परिजनों के लिये की ये घोषणा

डीएन ब्यूरो

गौहाटी उच्च न्यायालय ने केंद्र को असम के तिनसुकिया जिले में वर्ष 1994 में उग्रवाद रोधी अभियान के दौरान कथित रूप से सेना द्वारा मारे गए पांच युवकों के परिवारों को 20-20 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

गौहाटी उच्च न्यायालय
गौहाटी उच्च न्यायालय


गुवाहाटी: गौहाटी उच्च न्यायालय ने केंद्र को असम के तिनसुकिया जिले में वर्ष 1994 में उग्रवाद रोधी अभियान के दौरान कथित रूप से सेना द्वारा मारे गए पांच युवकों के परिवारों को 20-20 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। एक याचिकाकर्ता के वकील ने यह जानकारी दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अधिवक्ता परी बर्मन ने  बताया कि अदालत ने लंबा समय बीत जाने के मद्देनजर मामले को बंद घोषित कर दिया क्योंकि मामले के सबूत या गवाहों को पेश करना मुश्किल हो गया है।

उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति अचिंत्य मल्ला बुजोर बरुआ और न्यायमूर्ति रॉबिन फुकन की खंडपीठ ने यह आदेश दिया।

बर्मन ने कहा, ‘‘यह मामला आज बंद कर दिया गया है। माननीय अदालत ने भारत सरकार को आदेश दिया है कि वह पांच मृतकों के परिजनों को 20-20 लाख रुपये का मुआवजा दे।’’

उल्लेखनीय है कि उल्फा द्वारा एक चाय बागान प्रबंधक की हत्या के बाद फरवरी 1994 में तिनसुकिया जिले के डूमडूमा सर्कल से सेना ने नौ लोगों को उठाया था, जिनमें से पांच युवक ‘ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन’ के सदस्य थे। यह मामला इन्हीं पांच युवकों की मौत से संबंधित है।










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