DN Exclusive: जानिये धर्मांतरण में गिरफ्तार उमर गौतम की पूरी कहानी, फतेहपुर स्थित गांव पहुंची पुलिस, ग्रामीणों से पूछताछ, यहां देखें पूरी कुंडली

डीएन संवाददाता

उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किये गये मोहम्मद उमर गौतम के बारे में और ज्यादा जानकारी जुटाने के लिये पुलिस उसके फतेपहुर स्थित रमवा पहुंची। डाइनामाइट न्यूज की इस रिपोर्ट में जानिये उमर गौतम की पूरी कहानी



फतेहपुर: धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किये गये मोहम्मद उमर गौतम के बारे में और ज्यादा जानकारी जुटाने के लिये  पुलिस जनपद में स्थित थरियांव थाना क्षेत्र के रमवा गांव पहुंची। यहां पुलिस उसके कुछ परिजनों और ग्रामीणों से पूछताछ की गई। उमर गौतम मूल रूप से इसी गांव का रहने वाला है, 1979 में उसने यह गांव छोड़ दिया था। गांव छोड़ने से पहले उसका नाम श्याम प्रताप सिंह था। यानि वह एक हिंदु था, जिसने बाद मुस्लिम धर्म अपनाया और श्याम प्रताप सिंह से मोहम्मद उमर गौतम बन गया। 

डाइनामाइट न्यूज से बातचीत में रमवा गांव के लोगों ने बताया कि मोहम्मद उमर गौतम उर्फ श्याम प्रताप सिंह 1979 में जिला छोड़कर उत्तराखंड में स्थित नैनीताल के पंतनगर चला गया था। ग्रामीणों की जानकारी के मुताबिक बाद में वह दिल्ली चला गया, जहां उसने एक तरह से पहचान बदलकर अपना नया जीवन शुरू किया।

ग्रामीणों ने डाइनामाइट न्यूज को बताया कि उमर ने 1982 में जिले के ही गाजीपुर थाना क्षेत्र के खेसहन गांव निवासी छत्रपाल सिंह की बेटी राजेश कुमारी से शादी की। जिसके बाद उमर अपनी पत्नी को लेकर दिल्ली चला गया था। दिल्ली में उसने धर्म परिवर्तन कर लिया था। उमर के धर्म परिवर्तन के बाद से उसके फतेहपुर में मौजूद परिजन उमर से नाराज रहते थे। उमर साल दो साल में अपने गाँव आया करता था, लेकिन उससे कोई ज्यादा बातचीत नहीं करता था।

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स्थानीय लोगों से डाइनामाइट न्यूज से बातचीत में यह भी सामने आया कि रमवा गांव में अब बहुत कम लोग ही उमर को जानते है। नई पीढ़ी को उमर के कृत्य को जानकर बेहद गुस्से में है। पुराने कुछ लोगों ने भी उमर को कई सालों से नहीं देखा। कोई-कोई ज्यादा याद दिलाने पर उमर को जानने की बात करते है। अधिकतर ग्रामीण उमर नामक गांव के इस अध्याय को भूल चुके हैं लेकिन उस पर अब गांव चर्चा जोरों पर है। 

गाँव में रह रहे उमर के चचेरे भाई राजू सिंह ने बताया कि उमर ने गाँव में ही हाई स्कूल तक पढाई की, जिसके बाद वह पंतनगर चला गया। वह बीच-बीत में कभी कबार गांव आता था। राजू सिंह ने बताया कि उमर के पिता धनराज सिंह की मौत के डेढ़ वर्ष पूर्व हुई है लेकिन वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में भी नहीं आया।

उमर को जानने वाले पड़ोसियों और ग्रामीणों ने डाइनामाइट न्यूज को बताया कि उमर उर्फ श्याम प्रताप सिंह 6 भाई है। उमर अपने सभी भाइयों में चौथे नंबर का है। उमर के सबसे बड़े भाई का नाम उदय राज प्रताप सिंह है। इसके बाद 2 उदय प्रताप सिंह, 3 उदय नाथ सिंह, 4 उमर उर्फ़ श्याम प्रताप सिंह, 5 श्रीनाथ सिंह और 6 स्वर्गीय ध्रुव प्रताप सिंह है। उसके भाइयों के पास कुल 75 बीघा खेती है, जिसमें से उमर के हिस्से में 13 बीघा खेती है।

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धर्मांतरण के मामले में जब कल गांव वालों को उमर की गिरफ्तारी की जानकारी हुई तो सभी लोग सकते में आ गये। गिरफ्तारी के बाद से पूरे गाँव और क्षेत्र के लोगों का उमर के घर में आना-जाना लगा हुआ है। पुलिस की टीम भी गांव में मौजूद है और उसके परिचितों व गांव के लोगों से पूछताछ में जुटी हुई है। डीएसपी थरियांव सहित पुलिस फ़ोर्स उमर के चचेरे भाई से पूछताछ करने में लगी हुई है। उमर की पूरी कंडली खंगाली जा रही है। लोग भी यह जानना चाहते हैं कि आखिर श्याम प्रताप सिंह क्यों और कैसे मोहम्मद उमर गौतम बना? 










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