Eye Twitching : आंख फड़फड़ाना शुभ या अशुभ, जानें इसके पीछे की रहस्य वजह
आंखों का फड़कना चिंताजनक हो सकता है। जानें इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज की रिपोर्ट

नई दिल्ली: आंख फड़कना एक ऐसी स्थिति है जो कई लोगों के जीवन में कभी न कभी आती ही है। अक्सर देखा जाता है कि जब कोई व्यक्ति आंख फड़कने की शिकायत करता है तो आस-पास के लोग इसे शुभ या अशुभ का संकेत मानते हैं। हमारे समाज में इसे लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलन में हैं, जहां कुछ लोग इसे शुभ मानते हैं तो वहीं कुछ इसे किसी अनहोनी का संकेत मानते हैं।
डायनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार आंख फड़कना न केवल अंधविश्वास का हिस्सा है, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। इसे मेडिकल भाषा में 'मायोकिमिया' के नाम से जाना जाता है। इस स्थिति में आंखों के आसपास की मांसपेशियां अनियंत्रित रूप से सिकुड़ने लगती हैं, जिससे आंख फड़कने लगती है। आइए जानते हैं कि इस समस्या के पीछे मुख्य कारण क्या हो सकते हैं।
आंख फड़कने के कई संभावित कारण हैं, जिनमें तनाव, थकान, कैफीन का अधिक सेवन और स्क्रीन के सामने लंबे समय तक रहना शामिल है। जानिए इसके प्रभाव और उपाय।
तनाव और थकान
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अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से तनाव का सामना कर रहा है या उसे पर्याप्त नींद नहीं मिल रही है, तो आंखों की मांसपेशियों में थकान होती है, जो फड़कने का कारण बनती है। लगातार काम, चिंता या नींद की कमी भी इस समस्या को बढ़ावा देती है।
बहुत अधिक कैफीन और शराब का सेवन
आंखों के फड़कने का एक कारण हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति अत्यधिक मात्रा में चाय, कॉफी या शराब का सेवन करता है, तो यह उसकी नसों को उत्तेजित कर सकता है। इससे मांसपेशियों में असंतुलन पैदा होता है और परिणामस्वरूप आंखें फड़कने लगती हैं।
स्क्रीन के इस्तेमाल का बढ़ता चलन
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आंखों की थकान का एक अहम कारण बन गया है। लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी स्क्रीन के सामने बैठने से आंखें सूख सकती हैं, जिससे मांसपेशियों की गतिविधि बढ़ जाती है और आंखें फड़कने लगती हैं।
इन समस्याओं से निपटने के लिए कुछ उपाय हैं। जैसे तनाव प्रबंधन तकनीक अपनाना, पर्याप्त नींद लेना, कैफीन और शराब का सेवन सीमित करना और स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करना। नियमित ब्रेक लेना और आंखों की एक्सरसाइज करना भी आंखों के स्वास्थ्य के लिए मददगार हो सकता है।
अगर आपकी आंखें फड़कती हैं, तो इसे अंधविश्वास या पूर्वाग्रह से न देखें। बल्कि, इस स्थिति के पीछे के वैज्ञानिक कारणों को समझें और उचित कदम उठाएँ। अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित है