हाई कोर्ट के निर्देश के बावजूद वकीलों का काम बंद आंदोलन जारी, जानें ताजा अपडेट
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा हड़ताल खत्म करने के निर्देश के बावजूद प्रदेश के वकीलों ने सोमवार को चौथे दिन भी अदालतों में काम नहीं किया।
जबलपुर: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा हड़ताल खत्म करने के निर्देश के बावजूद प्रदेश के वकीलों ने सोमवार को चौथे दिन भी अदालतों में काम नहीं किया।
स्टेट बार काउंसिल ऑफ मध्य प्रदेश (एसबीसीएमपी) के उपाध्यक्ष आर के सिंह सैनी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि लंबे समय से लंबित 25 मामलों को तीन महीने में निपटान के लिए छांटने के लिए निचली अदालतों को दिए गए उच्च न्यायालय के हालिया प्रशासनिक आदेश का वे विरोध कर रहे हैं।
सैनी ने कहा, ‘‘वकीलों को इसकी चिंता है कि पुराने मामलों को निपटाने की जल्दबाजी निष्पक्ष सुनवाई के आड़े आ सकती है। इसके अलावा पुराने मामलों की सुनवाई जमानत याचिका जैसे जरूरी मामलों को ठंडे बस्ते में डाल देगी। प्रदेश में लगभग 1.1 लाख वकील हैं।’’
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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 24 मार्च को स्वत: संज्ञान लेते हुए हड़ताल में शामिल सभी अधिवक्ताओं को तुरंत काम पर लौटने का निर्देश दिया था।
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एक खंडपीठ ने कहा, ‘‘ मध्य प्रदेश के अधिवक्ताओं को निर्देश दिया जाता है कि वे अपने अदालती कामकाज में तुरंत शामिल हों। वे संबंधित अदालतों के समक्ष संबंधित मामलों में अपने मुवक्किलों का प्रतिनिधित्व करें।’’
उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि यदि कोई वकील जानबूझकर अदालत में उपस्थित होने से बचता है, तो यह माना जाएगा कि उसने आदेश की अवहेलना की है और उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे, जिसमें अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत कार्यवाही शुरू करना भी शामिल है।
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अदालत ने स्टेट बार काउंसिल ऑफ मध्य प्रदेश (एसबीसीएमपी) के अध्यक्ष के 23 के मार्च उस पत्र पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की है जिसमें वकील समुदाय से बृहस्पतिवार से अदालती कामकाज से दूर रहने के लिए कहा गया था।