शिक्षक दिवस पर विशेष, इन अद्भुत गुणों ने डॉ. राधाकृष्णन को बनाया महान

भारत को ऋषि-मुनियों का देश कहा जाता है और सदियों से ही यहां गुरु-शिष्य की पंरपरा रही है। चाहे अध्यापक हो या फिर उनके छात्र इसे परंपरा को निभाते आए है। भारत में हर साल 5 सितंबर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में जाने शिक्षक दिवस का महत्व..

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 4 September 2018, 7:47 PM IST
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नई दिल्लीः एक शिक्षक के लिए वो पल खुशी से भावुक कर देने वाला होता है, जब उसका पढ़ाया शिष्य देश-दुनिया में उसका नाम रोशन करता है। एक शिक्षक और छात्र के बीच यह दिन गुरु-शिष्य पंरपरा की मिसाल के लिये जाना जाता है। जीवन में एक शिक्षक का क्या महत्व है यह किसी से छुपा नहीं है। गुरु को संसार में माता के बाद प्रथम स्थान दिया गया है। जानिये शिक्षक दिवस का महत्व.. 

 

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, पंडित नेहरू व इंदिरा गांधी (फाइल फोटो)

 

शिक्षक दिवस भारत के लिए इसलिए भी खास

भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को देश के प्रथम उप-राष्ट्रपति और देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर मनाया जाता है। डा. राधाकृष्ण का जन्म तमिलनाडु के तिरुतनी गांव में 5 सितंबर 1888 को हुआ था। वे भारतीय संस्कृति के संवाहक प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिंदू विचारक भी थे। राधाकृष्ण के असाधारण गुणों के कारण ही उन्हें 1954 में भारत सरकार की तरफ से देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया।

फाइल फोटो

 

 
इन गुणों ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को बनाया महान

1. वे ऐसे महान दार्शनिक थे जो कहते थे कि जहां कहीं से भी कुछ सीखने को मिले उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिए। 
2. राधाकृष्णन छात्रों को पढ़ाने से ज्यादा उनके बौद्धिक विकास पर जोर देने की करते थे बात।

3.  उन्होंने दर्शन शास्त्र में एम.ए. की उपाधि ली थी। राधाकृष्णन 1916 में मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक नियुक्त किए गए। वे प्रध्यापक भी रहे।
4. डॉ. राधाकृष्णन ने अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से विश्व को भारतीय दर्शनशास्त्र से परिचित कराया। विश्व में उनके लेखों की प्रशंसा होती है।
5.  राधाकृष्णन अपने राष्ट्रप्रेम के लिए विख्यात थे, फिर भी अंग्रेजी सरकार ने उन्हें सर की उपाधि से सम्मानित किया। वे छल कपट से कोसों दूर रहते थे। 
6.  अहंकार तो उनमें नाम मात्र भी नहीं था। इन्हीं अद्भुत गुणों की वजह से भारत सरकार ने उन्हें 1954 में देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था।

 शिक्षक दिवस को छात्र अपने शिक्षकों के साथ ऐसे बनाए खास

1. हम चाहे कितने भी बड़े क्यों न हो जाए एक गुरु हमेशा गुरु ही रहता है। गुरु के सम्मान के लिए उनके चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लें।
2. हालांकि शिक्षक कभी भी अपने छात्रों से कोई उपहार लेना पंसद नहीं करते। लेकिन उनके सम्मान के लिए छात्र अपने शिक्षक को उनका पंसदीदा उपन्यास या कोई अच्छी किताब भेंट कर सकते हैं।
3. अपने प्यारे शिक्षक को ताजे फूल और ताजे फूलों से बना बुके भी गिफ्ट दे सकते हैं। इन फूलों की खूशबों व छात्र से मिले इस उपहार को शिक्षक जरूर खुशी- खुशी स्वीकार करेंगे।
4. हर कोई छात्र जो जीवन में कुछ अलग व बेहतर करना चाहता हैं वह अपने शिक्षक से जब भी मन में जिज्ञासा उठे उसे बेझिझक उनसे साझा करे, क्योंकि एक गुरु ही होता है जो हमेशा अपने छात्र का मार्गदर्शन करता है।

 

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