शीर्ष अदालत में यासीन की मौजूदगी पर दिल्ली जेल विभाग ने चार अधिकारियों को किया निलंबित
दिल्ली के जेल विभाग ने न्यायालय की अनुमति के बिना, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक के उच्चतम न्यायालय पहुंचने के सिलसिले में उपाधीक्षक समेत चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। शनिवार को एक बयान में यह जानकारी दी गयी।
नई दिल्ली: दिल्ली के जेल विभाग ने न्यायालय की अनुमति के बिना, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक के उच्चतम न्यायालय पहुंचने के सिलसिले में उपाधीक्षक समेत चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। शनिवार को एक बयान में यह जानकारी दी गयी।
तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे मलिक की खचाखच भरे अदालत कक्ष में मौजूदगी से अदालत में सनसनी फैल गयी थी।
मलिक को अदालत की अनुमति के बिना, कारागार के वाहन में उच्चतम न्यायालय परिसर में लाया गया था और इस वाहन को सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों ने सुरक्षा दी हुई थी। मलिक के अदालत कक्ष में कदम रखते ही वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए। उसे आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में दोषी ठहराया गया था और उम्रकैद की सजा सुनायी गयी थी।
उसके अदालत कक्ष में पहुंचते ही वहां मौजूद लोग उसे देख चकित रह गए।
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बयान में कहा गया है, ‘‘शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के सामने मलिक की पेशी के मामले में जेल विभाग ने एक उपाधीक्षक, दो सहायक अधीक्षकों तथा एक हेड वार्डर को शुक्रवार रात निलंबित कर दिया क्योंकि वे प्राथमिक जांच के बाद प्रथम दृष्टया (सुरक्षा चूक के लिए) जिम्मेदार पाये गये थे।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘ उन अन्य अधिकारियों की पहचान के लिए तिहाड़ जेल के उप महानिरीक्षक विस्तृत जांच कर रहे हैं जो इस गंभीर चूक के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।’’
शुक्रवार को जेल अधिकारियों ने कहा था कि उप महानिरीक्षक (जेल मुख्यालय) राजीव सिंह चूक का पता लगाने के लिए जांच करेंगे तथा दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारियां तय करेंगे एवं तीन दिनों में महानिदेशक (जेल) को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेंगे।
मलिक की मौजूदगी पर आश्चर्य जताते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ से कहा कि उच्च जोखिम वाले दोषियों को अपने मामले की व्यक्तिगत तौर पर पैरवी करने के लिए अदालत कक्ष में आने की मंजूरी की खातिर एक प्रक्रिया है।
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मेहता ने जब मलिक की अदालत कक्ष में मौजूदगी की ओर इशारा किया तो पीठ ने कहा कि उसने मलिक को कोई अनुमति नहीं दी या व्यक्तिगत तौर पर अपने मामले की जिरह की अनुमति देने वाला कोई आदेश परित नहीं किया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ 1989 में तत्कालीन केन्द्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद के अपहरण की घटना पर जम्मू की निचली अदालत द्वारा 20 सितंबर, 2022 को पारित आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, उसी दौरान यासीन मलिक अदालत कक्ष में उपस्थित हुआ।