दिल्ली हाई कोर्ट ने गूगल के पक्ष में 10 लाख रुपये के हर्जाने का दिया आदेश, जानिये ट्रेडमार्क से जुड़ा मामला

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कंसल्टेंसी फर्म गूगल इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड और उसकी अनुषंगी इकाइयों को निर्देश दिया है कि वह प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गूगल एलएलसी के ‘ट्रेडमार्क’ का दुरुपयोग करने के लिए हर्जाने के तौर पर 10 लाख रुपये का भुगतान करे।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

गूगल के पक्ष में 10 लाख रुपये के हर्जाने का आदेश दिया
गूगल के पक्ष में 10 लाख रुपये के हर्जाने का आदेश दिया


नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कंसल्टेंसी फर्म गूगल इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड और उसकी अनुषंगी इकाइयों को निर्देश दिया है कि वह प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गूगल एलएलसी के ‘ट्रेडमार्क’ का दुरुपयोग करने के लिए हर्जाने के तौर पर 10 लाख रुपये का भुगतान करे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने प्रतिवादियों को संबंधित ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने से स्थायी तौर पर रोकने को लेकर याचिकाकर्ता गूगल एलएलसी के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि प्रतिवादियों ने अनुचित तरीके से 'गूगल' ट्रेडमार्क का इस्तेमाल किया। अदालत ने कहा कि प्रतिवादी ‘धोखाधड़ी और चालबाजी’ में लिप्त थे, क्योंकि उन्होंने ‘जनता के समक्ष गलत धारणा पेश की’ कि वे गूगल इंडिया से जुड़े हुए थे।

अदालत ने कहा कि वादी कंपनी के पास ‘गूगल’ ट्रेडमार्क और इसकी विविधताओं के लिए वैध और सर्वाधिकार पंजीकरण हैं।

अदालत ने कहा, ‘‘गूगल एलएलसी निश्चित रूप से वैधानिक सुरक्षा और उल्लंघन के लिए निषेधाज्ञा का हकदार है। यह (कंपनी) 10 लाख रुपये के हर्जाने के अलावा वाणिज्यिक अदालत अधिनियम और आईपीडी नियमावली के साथ पठित दिल्ली उच्च न्यायालय (मूल पक्ष) नियमावली, 2018 के तहत ‘लागत बिल’ के आधार पर वास्तविक लागत हासिल करने का भी हकदार है।’’

अदालत ने पिछले महीने जारी एक आदेश में कहा, 'मौजूदा मुकदमे का फैसला तदनुसार वादी के पक्ष में सुनाया जाता है... वादी के पक्ष में 10,00,000/- रुपये के हर्जाने का फैसला दिया जाता है, जो प्रतिवादी संख्या एक, दो और तीन द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा।’’

अदालत ने डीओटी को निर्देश दिया कि वह सभी इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को 'गूगल' ट्रेडमार्क का उल्लंघन करते हुए एक डोमेन नाम पर होस्ट की गई वेबसाइट तक पहुंच को ब्लॉक करने के लिए निर्देश जारी करे।

अदालत ने कहा कि प्रतिवादियों में से किसी ने भी वादी के दावों का खंडन नहीं किया है और आरोपों का खंडन करने के लिए कोई सबूत भी पेश नहीं किया गया है।

 










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