सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महामारी के दौरान रिहा किये गये कैदी लौटे तिहाड़ जेल

डीएन ब्यूरो

कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के दौरान आपातकालीन जमानत या पैरोल पर रिहा किये गये कैदियों को आत्मसमर्पण करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद शुक्रवार को यहां तिहाड़ जेल के बाहर प्राधिकारियों के समक्ष इसके लिए कतार लगी रही।

सुप्रीम कोर्ट (फाइल)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल)


नई दिल्ली: कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के दौरान आपातकालीन जमानत या पैरोल पर रिहा किये गये कैदियों को आत्मसमर्पण करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद शुक्रवार को यहां तिहाड़ जेल के बाहर प्राधिकारियों के समक्ष इसके लिए कतार लगी रही।

दिल्ली के कीर्ति नगर में हत्या के मामले में गिरफ्तार किये गये अपने दो भाइयों को जेल छोड़ने आये बजरंग सैनी ने कहा, ‘‘मेरे भाइयों को हत्या के मामले में पांच साल पहले गिरफ्तार किया गया था। वे 2021 में जेल से बाहर आए थे।’’

सैनी ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि इस मामले का निकट भविष्य में निपटारा हो जाएगा और वे अपनी जिंदगी नये सिरे से शुरू कर पाएंगे। हमें पता है कि वे (आदतन) अपराधी नहीं है। उनसे गुस्से में यह अपराध हुआ।’’

उच्चतम न्यायालय ने वैश्विक महामारी के दौरान रिहा किये गये सभी दोषियों और विचाराधीन कैदियों को 24 मार्च को निर्देश दिया था कि वे 15 दिन के भीतर आत्मसमर्पण कर दें।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली कारागार विभाग ने बताया कि 27 मार्च से पांच अप्रैल तक कुल 128 कैदी जेल लौटे हैं, जिनमें से 73 विचाराधीन कैदी और 55 दोषी हैं।

हत्या के मामले में जेल में बंद विचाराधीन कैदी नरेंद्र कुमार ने कहा, ‘‘मुझे वसंत कुंज पुलिस थाने में हत्या के एक मामले में पकड़ा गया था। यह घटना करीब चार साल पहले हुई। मैं अगस्त 2021 में जेल से बाहर आया। जेल से बाहर आने के बाद मैं छोटे-मोटे अंशकालिक काम करता रहा।’’

अपनी पहचान उजागर न करने वाले युवा राजमिस्त्री ने कहा कि वह अपनी मां को छोड़ने के लिए तिहाड़ जेल आया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी मां को लगभग तीन साल पहले पश्चिमी दिल्ली में हत्या के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। वह 2021 से (जेल से) बाहर थीं।’’










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