कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री के बयान पर सवाल उठाए, जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

कांग्रेस की मणिपुर इकाई ने शुक्रवार को सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान दो घंटे से अधिक समय तक चले अपने संबोधन में हिंसाग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य पर केवल तीन मिनट ही क्यों बोले। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी


इंफाल/गुवाहाटी: कांग्रेस की मणिपुर इकाई ने शुक्रवार को सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान दो घंटे से अधिक समय तक चले अपने संबोधन में हिंसाग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य पर केवल तीन मिनट ही क्यों बोले।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कांग्रेस की मणिपुर इकाई के वरिष्ठ प्रवक्ता निंगोम्बम बुपेंडा मेइती ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर प्रधानमंत्री से तीन सवाल करते हुए उनसे पूछा कि वह बृहस्पतिवार को अपने भाषण के दौरान मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता पर चुप क्यों थे?

उनका तीसरा सवाल था कि वह (मोदी) मणिपुर का दौरा कब करेंगे।

एक्स पर की गई पोस्ट में मेइती ने कहा, ‘‘ प्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, 1. आप लोकसभा में कल के अपने दो घंटे और 12 मिनट लंबे भाषण के दौरान मणिपुर पर मुश्किल से तीन मिनट ही क्यों बोले? 2. आप लोकसभा में मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता के मुद्दे को लेकर चुप क्यों रहे ? 3. आप मणिपुर कब आ रहे हैं ? ’’

लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमंत्री दो घंटे तक बोले, इस दौरान उन्होंने मणिपुर पर बोलने और वहां के लोगों का दर्द साझा करने के बजाय ज्यादातर समय कांग्रेस पार्टी की आलोचना ही की।

विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों ने कहा कि उसने मणिपुर में जातीय हिंसा पर प्रधानमंत्री की “चुप्पी” को तोड़ने के लिए अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था।

जब प्रधानमंत्री मोदी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान जवाब दे रहे थे तो विपक्षी सांसदों ने यह आरोप लगाते हुए लोकसभा से बहिर्गमन कर दिया कि उनके भाषण के पहले 90 मिनट में मणिपुर का कोई संदर्भ नहीं था।

इस बीच गुवाहाटी में, तृणमूल कांग्रेस की असम इकाई ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पूर्वोत्तर से केवल वोट चाहते हैं, लेकिन संकट के समय इस क्षेत्र का दौरा करने की जहमत नहीं उठाते।

तृणमूल कांग्रेस की असम इकाई के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा, ‘‘ उन्होंने (मोदी) कहा कि वह नौ साल में 96 बार पूर्वोत्तर आये हैं, लेकिन संकट के समय नहीं आये तो क्या फायदा? वह असम बाढ़ के दौरान नहीं आये। महीनों से मणिपुर जल रहा है, वह नहीं आये, न ही उन्होंने वहां अपना कोई मंत्री तैनात किया है। ’’

राज्यसभा के पूर्व सदस्य बोरा ने कहा, ‘‘ भाजपा ने सोचा कि उनके पास पैसा है और वे वोट खरीद सकते हैं। वे इसका स्थायी समाधान निकालने को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं। उन्होंने मणिपुर के लोगों की भावना का अपमान किया है। हम प्रधानमंत्री की उदासीनता और गैर-जिम्मेदाराना प्रतिक्रिया की निंदा करते हैं। ’’

गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

पूर्वोत्तर राज्य की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।










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