‘इंडिया’ गठबंधन के प्रति संकल्पित, लेकिन कांग्रेस को बंगाल में अपनी सीमाएं पहचाननी चाहिए
विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन की डिजिटल बैठक से दूर रहने वाली तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को इसके प्रति अपनी प्रतिबद्धता जतायी लेकिन साथ ही कहा कि कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में अपनी सीमाओं को पहचानना चाहिए और पार्टी को यहां राजनीतिक लड़ाई का नेतृत्व करने देना चाहिए। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
कोलकाता: विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन की डिजिटल बैठक से दूर रहने वाली तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को इसके प्रति अपनी प्रतिबद्धता जतायी लेकिन साथ ही कहा कि कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में अपनी सीमाओं को पहचानना चाहिए और पार्टी को यहां राजनीतिक लड़ाई का नेतृत्व करने देना चाहिए।
विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के शीर्ष नेता शनिवार को गठबंधन को मजबूत करने, सीट बंटवारे पर एक ‘फॉर्मूला’ तैयार करने और विपक्षी दलों के गठबंधन का संयोजक बनाने पर निर्णय लेने पर चर्चा कर रहे हैं। यह दूसरा ऐसा प्रयास है क्योंकि कुछ दिन पहले डिजिटल बैठक आयोजित करने का पिछला प्रयास सफल नहीं हो पाया था।
स्थिति के बारे में जानकारी रखने वाले टीएमसी के एक सांसद ने गठबंधन के प्रति पार्टी के 'समर्पण' पर जोर देते हुए कहा, 'हम ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए प्रतिबद्ध हैं और भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए मिलकर काम करना चाहते हैं। लेकिन हम ईमानदारी से चाहते हैं कि कांग्रेस नेतृत्व अपनी पश्चिम बंगाल इकाई की सीमाओं और कमजोरियों को स्वीकार करे और हमें (टीएमसी) को राज्य में लड़ाई का नेतृत्व करने दे।’’
टीएमसी ने शुक्रवार को कहा कि ममता बनर्जी डिजिटल बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगी क्योंकि उनकी 'पहले से तय कार्यक्रमों में व्यस्त हैं और वह 16 घंटे पहले बैठक आयोजन के बारे में जानकारी दिये जाने पर पर उन्हें बदल नहीं सकेंगी।’’
उन्होंने कहा, 'हमें बताया गया कि कोई और इसमें शामिल नहीं हो सकता क्योंकि ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रत्येक घटक दल से केवल एक व्यक्ति को ही इसमें शामिल होने की अनुमति है।’’
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इससे पहले, टीएमसी ने अपने पूर्व रुख का हवाला देते हुए आगामी लोकसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे पर कांग्रेस की राष्ट्रीय गठबंधन समिति के साथ बैठकों में प्रतिनिधियों को भेजने से इनकार कर दिया था, जिसके बारे में उसने कांग्रेस को बता दिया था।
टीएमसी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे के आधार पर कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में दो सीटों की पेशकश की थी। हालांकि, कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को अपर्याप्त माना।
पिछले हफ्ते टीएमसी लोकसभा पार्टी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कांग्रेस के साथ सहयोग करने की पार्टी की इच्छा का संकेत दिया था, लेकिन कहा था कि अगर बातचीत विफल रही तो पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। हाल ही में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी टीएमसी से सीटों की 'भीख' नहीं मांगेगी। चौधरी टीएमसी के मुखर आलोचक हैं।
स्थिति के बारे में जानकारी रखने वाले ने इसकी सूत्रों ने पुष्टि की है कि टीएमसी राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस के साथ तीन से चार सीटें साझा करने पर विचार कर सकती है।
वर्ष 2019 के चुनावों में, टीएमसी को 22 सीटें और कांग्रेस को दो सीटें मिलीं थीं, जबकि भाजपा ने राज्य में 18 सीटों पर जीत हासिल की थी। चौधरी ने बहरामपुर सीट जीती थी, जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री अबू एच. खान चौधरी ने मालदा दक्षिण से लगातार तीसरी बार जीत हासिल की थी।
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पिछले साल नवंबर में पश्चिम बंगाल में टीएमसी, कांग्रेस और वाम दलों के बीच गठबंधन के बनर्जी के प्रस्ताव को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने तत्काल खारिज कर दिया था और कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इसकी आलोचना की थी।
कुछ दिनों बाद, बनर्जी ने दोनों पार्टियों पर भाजपा के साथ जाने का आरोप लगाया था और कहा था कि टीएमसी पश्चिम बंगाल में भाजपा का मुकाबला करेगी।
टीएमसी ने अतीत में तीन बार कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है - 2001 विधानसभा चुनाव, 2009 लोकसभा चुनाव और 2011 विधानसभा चुनाव।