Rajasthan: कोटा में अपने ही छात्रों को अच्छे वेतन पर बतौर शिक्षक रख रहे हैं कोचिंग संस्थान

डीएन ब्यूरो

कोटा स्थित कोचिंग संस्थान न केवल उम्मीदवारों को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए तैयार कर रहे हैं, बल्कि उनमें से कुछ को उनकी शिक्षा पूरी करने के बाद शिक्षकों के रूप में काम पर भी रख रहे है।

कोचिंग संस्थान (फाइल फोटो)
कोचिंग संस्थान (फाइल फोटो)


राजस्थान: कोटा स्थित कोचिंग संस्थान न केवल उम्मीदवारों को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) और मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए तैयार कर रहे हैं, बल्कि उनमें से कुछ को उनकी शिक्षा पूरी करने के बाद शिक्षकों के रूप में काम पर भी रख रहे है। ये कोचिंग संस्थान ऐसे छात्रों को अपने यहां शिक्षकों के तौर पर रखकर उन्हें भारी भरकम वेतन भी दे रहे हैं।

पचास लाख रुपये से लेकर दो करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक पैकेज, एक स्थिर नौकरी तथा काम एवं जीवन के बीच संतुलन कारकों के चलते इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ायी पूरी कर चुके युवा बड़ी कंपनियों के बजाय यहां के शीर्ष कोचिंग संस्थानों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

एक प्रमुख कोचिंग संस्थान ‘रेजोनेंस’ के प्रबंध निदेशक एवं शैक्षणिक प्रमुख आर के वर्मा ने कहा कि उनका संस्थान आईआईटी और एनआईटी के नये स्नातकों को नियुक्त करने के लिए एक व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाता है।

वर्मा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘हम एक साल में लगभग 150 नए स्नातकों को नियुक्त करते हैं, ज्यादातर आईआईटी से और कुछ एनआईटी से होते हैं। यह कोई नया प्रयोग नहीं बल्कि एक बहुत ही सफल मॉडल है। उम्मीदवारों के पास हमारे संस्थान से जुड़ने की अलग-अलग वजहें होती हैं, जिसमें एक अच्छा वेतन, अच्छा करियर और स्थिर जीवन शामिल है।’’

वर्मा ने कहा, ‘‘वे पहले दिन से पढ़ाना शुरू नहीं करते। उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है, ताकि जो पहले से पढ़ा रहे हैं उनके मानक से वे मेल खा पाएं। मॉक सत्र, किसी विषय पर संदेह को दूर करने के लिए कक्षा से इतर विशेषज्ञ शिक्षक से पूछने की व्यवस्था, निजी मार्गदर्शन जैसे क्षेत्रों में इन नए स्नातक प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया जाता है।’’

उन्होंने कहा कि प्रशिक्षुओं को शुरुआत में प्रतिवर्ष छह-आठ लाख रुपये का वेतन दिया जाता है, लेकिन प्रशिक्षण पूरा कर लेने के बाद उन्हें प्रतिवर्ष 25 लाख रुपये से लेकर 50 लाख रुपये तक का वेतन दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यह वेतन प्रदर्शन और अन्य परिणामों के आधार पर दो-तीन साल की अवधि के भीतर दो करोड़ रुपये तक जा सकता है।

‘एलेन करियर इंस्टीट्यूट’ के एक प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने जिन स्नातकों को अपने यहां बतौर शिक्षक काम पर रखा है उनमें अधिकतर उनके पूर्व छात्र हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम नए स्नातकों को प्रशिक्षु के रूप में नियुक्त करते हैं और प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें बनाए रखते हैं। उनमें से अधिकांश हमारे पूर्व छात्र ही हैं और उन्हें यह शहर पसंद है।’’

किसी समय औद्योगिक केंद्र रहा कोटा अब 6,000 करोड़ रुपये के कोचिंग उद्योग का केंद्र है। इंजीनियरिंग के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (नीट) जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए हर साल दो लाख से अधिक छात्र कोटा आते हैं।

आईआईटी, मद्रास के अनुसार, मौजूदा ‘प्लेसमेंट’ अभियान के दौरान उनके 13 छात्रों को विभिन्न कोचिंग संस्थान पहले ही काम पर रख चुके हैं। इसी तरह, आईआईटी गुवाहाटी के 22 छात्रों को पिछले साल (2021-22) के दौरान कोचिंग संस्थानों द्वारा नियुक्त किया गया था। संस्थान ने कहा कि 2022-23 सत्र के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं।

सेंटर फॉर करियर डेवलपमेंट, आईआईटी गुवाहाटी के प्रमुख ललित पांडे ने कहा, ‘‘कोचिंग संस्थान शिक्षण पेशे और अन्य कार्य के लिए नये आईआईटी स्नातकों को नियुक्त करते हैं। परास्नातक छात्र, विशेष रूप से एमएससी कर चुके छात्र शिक्षण कार्य को प्राथमिकता देते हैं।’’










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