

हिमालय क्षेत्र में जलवायु संतुलन और आपदा प्रबंधन को लेकर दिल्ली में एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें कई दिग्गज हस्तियों ने शिरकत की। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: देश के हिमालयी क्षेत्र में जलवायु संतुलन और आपदा प्रबंधन (Climate Resilience & Disaster Management in Himalaya Region) को लेकर दिल्ली में मंगलवार को एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें देश और दुनियाभर के विशेषज्ञों के साथ ही संबंधित क्षेत्रों की दिग्गज हस्तियां बड़ी संख्या में शामिल हुईं।
UCOST ने किया आयोजन
इस कार्यशाला का आयोजन उत्तराखंड सरकार की ओर से उत्तराखंड कौंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नॉलॉजी (UCOST) द्वारा किया गया।
इस मौके पर विशेषज्ञों द्वारा हिमालय की स्थिति, पर्यावरण संरक्षण और आपदा प्रबंधन को लेकर गहन मंथन किया गया और हिमालय क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं में कमी लाने के उपाय सुझाये गये।
UCOST के महानिदेशक ने क्या कहा?
इस मौके पर डाइनामाइट न्यूज़ से खास बातचीत में उत्तराखंड कौंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नॉलॉजी (UCOST) के महानिदेशक प्रो दुर्गेश पंत ने कहा कि हिमालय के संरक्षण के लिये हर इंसान को संवेदनशील होना पड़ेगा और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देनी होगी।
उन्होंने कहा कि पिछले साल इसी संबंध में देहरादून डिक्लिरियेशन का आयोजन किया गया था, जिसे दुनिया भर में प्रशंसा मिली। देहरादून डिक्लिरियेशन से सामने आये विचारों व सुझावों को अमल में लाने के लिये ही दिल्ली में इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है और इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन लगातार होता रहेगा।
प्रो दुर्गेश पंत ने कहा कि अगले साल जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन पर उत्तराखंड में वैश्विक सम्मेलन होगा और आज का कार्यक्रम उसी दिशा में पहला कदम है।
इस अवसर पर डा. दिनेश त्यागी, आईएएस (रिटायर्ड), President SODES ने डाइनामाइट न्यूज़ के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि हिमालय देश की आत्मा है। उन्होंने कहा कि हिमालय को नार्थ और साउथ पोल के बाद तीसरे ध्रुव के रूप में माना जाता है।
उन्होंने कहा कि हिमालय देश की आत्मा है और इसका संरक्षण सभी नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसक साथ ही उन्होंने कहा कि पर्यावरण संतुलन और आपदा प्रबंधन में सभी की भागीदारी जरूरी है।