घूसखोरी के मामले में गिरफ्तार रेलवे इंजीनियर के खिलाफ सीबीआई ने दर्ज किया मामला
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उत्तर-पूर्व सीमांत रेलवे के एक उप मुख्य अभियंता और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उत्तर-पूर्व सीमांत रेलवे के एक उप मुख्य अभियंता और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
उप मुख्य अभियंता को रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत रामपाल, उनकी पत्नी और सास के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
उन्होंने कहा कि इस साल फरवरी में रामपाल और अन्य के खिलाफ रिश्वतखोरी की प्राथमिकी दर्ज करने के बाद ली गई तलाशी के दौरान, सीबीआई ने उसके परिसर से 1.10 करोड़ रुपये नकद बरामद किए थे, जबकि उनकी ससुराल से 67 लाख रुपये मिले थे।
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अधिकारियों ने कहा कि इस आधार पर नयी प्राथमिकी दर्ज की गई।
एक असामान्य कदम में, एजेंसी ने अवैध संपत्ति की वास्तविक मात्रा को प्राथमिकी के साथ सार्वजनिक नहीं किया है क्योंकि इससे मौजूदा जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
सीबीआई ने तीन लोगों- वरिष्ठ अनुभाग अभियंता संतोष कुमार और वरिष्ठ उप मुख्य अभियंता रामपाल (दोनों सिलचर में तैनात थे) और त्रिबेणी कंस्ट्रक्शंस के मालिक एवं ठेकेदार सज्जन चौधरी को गिरफ्तार किया था।
उन्होंने कहा कि कुमार को निर्माण कंपनी से कथित तौर पर आठ लाख रुपये प्राप्त करते समय गिरफ्तार किया गया था।
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फरवरी में नौ लोगों के खिलाफ दर्ज रिश्वतखोरी की प्राथमिकी में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि त्रिबेणी कंस्ट्रक्शंस ने एक परियोजना में 19 करोड़ रुपये का बिल जमा किया था।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि इस रकम में रामपाल, कुमार और अन्य आरोपी लोक सेवकों की मिलीभगत से हेरफेर करके दो करोड़ रुपये की बढ़ी हुई राशि शामिल थी। इसमें से 20 लाख रुपये पहले ही उप मुख्य अभियंता को, 35 लाख रुपये सहायक कार्यकारी अभियंता बी यू लस्कर (एक अन्य आरोपी) को दिए जा चुके थे तथा 36 लाख रुपये कुमार को सौंपे जाने थे।
उन्होंने बताया कि एजेंसी ने तब गिरफ्तारी की जब रिश्वत की बाकी रकम का भुगतान किया जाना था।