Parenting Tips: बच्चों की परवरिश में बरते सावधानी, अपनाएं ये खास टिप्स

डीएन ब्यूरो

बच्चों की परवरिश में सावधानी जरूरी है। माता-पिता अपने बच्चे की तुलना न करें और शारीरिक विशेषताओं पर ध्यान दें ताकि बच्चे का मानसिक विकास सुचारू रूप से हो सके। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट

बच्चों की परवरिश में सावधानी जरूरी (फाइल फोटो)
बच्चों की परवरिश में सावधानी जरूरी (फाइल फोटो)


नई दिल्ली:बच्चे मिट्टी की तरह होते हैं और उन्हें जिस तरह से ढाला जाता है, उनका व्यक्तित्व उसी तरह विकसित होता है। इसलिए माता-पिता को अपने बच्चों की परवरिश में छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना जरूरी है। कई बार माता-पिता यह सोचकर कुछ बातों की अनदेखी कर देते हैं कि 'वह तो बच्चा है, उसे क्या समझ आएगा', जो कि पूरी तरह से गलत है।

बच्चों के मनोविज्ञान की समझ होनी चाहिए, क्योंकि छोटी उम्र में बच्चे हर चीज के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। इसलिए बच्चों से बात करते समय यह सोचना जरूरी है कि आपकी बातों का उनके मानसिक विकास पर क्या असर पड़ सकता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस लेख में हम कुछ ऐसी बातों का जिक्र करेंगे जो आपको अपने बच्चे के साथ नहीं करनी चाहिए। इसे ध्यान में रखकर आप अपनी पेरेंटिंग को और भी बेहतर बना सकते हैं।

अपने बच्चे की तुलना क्यों न करें

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सबसे पहले, अपने बच्चे की तुलना किसी दूसरे बच्चे से करना बेहद नुकसानदेह हो सकता है। जब आप अपने बच्चे की तुलना किसी दूसरे बच्चे से करते हैं, तो इससे बच्चे में हीन भावना पैदा होती है। यह जरूरी है कि हर बच्चे की अपनी क्षमताएं, गुण और रुचियां हों। इसलिए दूसरों से तुलना करने के बजाय अपने बच्चे की प्रतिभा और रुचियों पर ध्यान दें और उन्हें विकसित करने का प्रयास करें।

बच्चे के रंग-रूप की तुलना न करें

बच्चे के शारीरिक रंग-रूप की तुलना कभी भी किसी और से न करें। ऐसा करने से बच्चे के मन में असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है। हर बच्चा अपने आप में सुंदर होता है और इसे स्वीकार करना जरूरी है।

बच्चे के मानसिक विकास के लिए गतिविधियाँ

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अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा भविष्य में एक अच्छा इंसान बने, तो उसे ऐसी गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें जो उसके मानसिक विकास में मदद करें। पहेलियाँ जैसे खेल खेलने से बच्चे की सोचने की क्षमता में सुधार होता है। इसके अलावा, बच्चों को खेल, पेंटिंग, संगीत और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल करना बेहद फायदेमंद होता है। ये गतिविधियाँ न केवल शारीरिक विकास में मदद करती हैं, बल्कि मानसिक विकास को भी बढ़ावा देती हैं।

बच्चों के आहार में उचित पोषण दें

बच्चों के आहार में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करना बहुत ज़रूरी है जो उनके मस्तिष्क के विकास में सहायक हों। सूखे मेवे, ताज़े फल और हरी सब्ज़ियाँ उनके मस्तिष्क को पोषण प्रदान करती हैं। इस प्रकार संतुलित आहार बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इन सभी बातों को ध्यान में रखकर और बच्चों की परवरिश में सकारात्मकता से जुड़कर माता-पिता अपने बच्चों का संपूर्ण विकास सुनिश्चित कर सकते हैं










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