पेड़ कटाई की अनुमति देने का अधिकार संबंधी विधेयक पारित, जानिये महाराष्ट्र का ये नया कानून

डीएन ब्यूरो

महाराष्ट्र विधानसभा ने शुक्रवार को स्थानीय वृक्ष प्राधिकरणों को राज्य वन प्राधिकरण को संदर्भित किये बगैर सभी तरह के पेड़ों की कटाई की अनुमति देने का अधिकार मुहैया कराने वाला विधेयक पारित कर दिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

पेड़ कटाई की अनुमति देने के अधिकार संबंधी विधेयक पारित
पेड़ कटाई की अनुमति देने के अधिकार संबंधी विधेयक पारित


मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा ने शुक्रवार को स्थानीय वृक्ष प्राधिकरणों को राज्य वन प्राधिकरण को संदर्भित किये बगैर सभी तरह के पेड़ों की कटाई की अनुमति देने का अधिकार मुहैया कराने वाला विधेयक पारित कर दिया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार विपक्षी दल शिवसेना (यूबीटी) ने संशोधन के औचित्य पर सवाल उठाया, तो सत्तारूढ़ भाजपा ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी पर विकास का विरोध करने का आरोप लगाया।

विधेयक में महाराष्ट्र (शहरी क्षेत्र) संरक्षण और वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1975 में संशोधन किया गया है। अभी इसे विधान परिषद द्वारा पारित किया जाना बाकी है।

मौजूदा कानून के तहत पांच साल या उससे अधिक पुराने और दो सौ से अधिक पुराने विरासत वाले पेड़ों को काटने के लिए आवेदन स्थानीय (नगरपालिका) वृक्ष प्राधिकरण द्वारा महाराष्ट्र राज्य वृक्ष प्राधिकरण को संदर्भित किये जाते रहे हैं।

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राज्य सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार आवश्यक परमिट की संख्या कम करके और विभिन्न क्षेत्रों में निर्धारित समय सीमा के भीतर अनुमति देकर, शक्तियों के विकेंद्रीकरण के माध्यम से व्यापार सहूलियत को लगातार बढ़ावा दे रही है।

लेकिन शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा, ‘‘व्यापार करने में तभी आसानी हो सकती है जब जीवन जीने में आसानी हो।’’

कांग्रेस विधायक पृथ्वीराज चव्हाण, वर्षा गायकवाड़ और नाना पटोले ने पर्यावरण की रक्षा करते हुए सतत विकास की आवश्यकता पर जोर दिया।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के जयंत पाटिल ने पर्यावरण संरक्षण के बजाय ‘राजनीतिक भाषण’ देने के लिए भाजपा विधायकों की आलोचना की।

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बहस का जवाब देते हुए पर्यावरण मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि संशोधन स्थानीय वृक्ष अधिकारियों की शक्तियों को बहाल करता है। मंत्री ने कहा, ‘‘एक वृक्ष प्राधिकरण ना केवल पेड़ों की कटाई पर बल्कि वृक्ष संरक्षण पर भी निर्णय लेता है।’’

हालांकि, चव्हाण ने कहा कि स्थानीय वृक्ष अधिकारियों के पास विरासत वृक्ष को परिभाषित करने और उसकी सुरक्षा करने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता नहीं है।










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