पत्तनम में पश्चिमी यूरेशियाई वंश की मौजूदगी को लेकर बड़ा अपडेट, पढ़ें ये रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

केरल के एर्नाकुलम जिले में दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित पत्तनम में पुरातात्विक स्थल से हाल में मिले सबूतों और उनके प्राचीन डीएनए विश्लेषण से इतिहासकारों की इस राय को बल मिला है कि पत्तनम ने भारत और पश्चिम एशिया तथा अन्य देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में ‘‘अहम भूमिका’’ निभाई थी। पढ़िए पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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हैदराबाद: केरल के एर्नाकुलम जिले में दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित पत्तनम में पुरातात्विक स्थल से हाल में मिले सबूतों और उनके प्राचीन डीएनए विश्लेषण से इतिहासकारों की इस राय को बल मिला है कि पत्तनम ने भारत और पश्चिम एशिया तथा अन्य देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में ‘‘अहम भूमिका’’ निभाई थी।

इन नमूनों के विश्लेषण से क्षेत्र में दक्षिण एशियाई और पश्चिमी यूरेशियाई वंशों की मौजूदगी के बारे में भी पता चलता है।

ऐसा माना जाता है कि पत्तनम का यह पुरातात्विक स्थल प्राचीन बंदरगाह शहर मुजिरिस का हिस्सा है।

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इतिहासकारों का मानना है कि पत्तनम शहर ने भारत और पश्चिम एशिया, उत्तर अफ्रीका व भूमध्यसागरीय क्षेत्रों के बीच व्यापार एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान में अहम भूमिका निभाई थी।

हैदराबाद स्थित कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘सीएसआईआर-सीसीएमबी के मुख्य वैज्ञानिक कुमारसामी थंगाराज और पीजे चेरियन की अगुवाई में पत्तनम से हाल में मिले अधिक ठोस पुरातात्विक सबूतों और उनके प्राचीन डीएनए विश्लेषण से इस राय को बल मिला है। यह अनुसंधान अब पत्रिका जीन्स में प्रकाशित किया गया है।’’

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विज्ञप्ति में बताया गया है कि पत्तनम पुरातात्विक स्थल पर वैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों को मानव हड्डियां, डिब्बे, सोने का एक आभूषण, कांच और पत्थर के टुकड़े, पत्थर, तांबा और लोहे से बने बर्तन, मिट्टी के बर्तन, चेरा सिक्के, ईंट की दीवार और सतह से करीब 2.5 मीटर नीचे घाट की संरचना के समानांतर छह मीटर लंबी लकड़ी की डोंगी मिली है।

चेरियन ने कहा, ‘‘ये संरचनाएं एक बड़ी ‘शहरी’ बस्ती का संकेत देती हैं। खुदाई से पता चलता है कि इस स्थान पर पहले स्वदेशी ‘‘लौह युग’’ के लोग रहते होंगे और इसके बाद प्रारंभिक ऐतिहासिक काल में रोमन लोग वास करते होंगे।’’

अनुसंधान में शामिल रहे वरिष्ठ वैज्ञानिक नीरज राय ने कहा, ‘‘हमने 12 प्राचीन कंकाल के नमूनों के डीएनए का विश्लेषण किया। हमने पाया कि इन नमूनों से दक्षिण एशियाई और पश्चिमी यूरेशियाई वंशों की उपस्थिति का पता चलता है।’’










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