एओआर केवल हस्ताक्षर करने वाले प्राधिकार नहीं हो सकते: उच्चतम न्यायालय

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ (एओआर) केवल हस्ताक्षर करने वाला प्राधिकार नहीं हो सकते बल्कि शीर्ष अदालत में वे क्या दाखिल करते हैं, उन्हें उसकी भी जिम्मेदारी लेनी होगी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

उच्चतम न्यायालय
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ (एओआर) केवल हस्ताक्षर करने वाला प्राधिकार नहीं हो सकते बल्कि शीर्ष अदालत में वे क्या दाखिल करते हैं, उन्हें उसकी भी जिम्मेदारी लेनी होगी।

संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत उच्चतम न्यायालय द्वारा तय नियमों के अनुसार एओआर के रूप में केवल मनोनीत अधिवक्ता शीर्ष अदालत में एक पक्ष के लिए बहस कर सकते हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि उनकी प्राथमिक चिंता है कि एओआर को अपने कर्तव्य निभाने चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इस प्रणाली को बंद करना चाहते हैं कि कोई गैरजिम्मेदाराना तरीके से किसी चीज पर हस्ताक्षर करे।’’










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