कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के कार्यकाल में पूर्वी चंपारण की स्थिति बदतर

डीएन ब्यूरो

भारत सरकार के कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के कार्यकाल में पूर्वी चंपारण की स्थिति क्या है? इसको लेकर लोगों की अलग-अलग राय है। डाइनामाइट न्यूज़ ने जब सांसद व मंत्री के रुप में राधा मोहन के काम-काज की पड़ताल की तो लोगों की अलग-अलग राय सामने आयी। ज्यादातर राधा मोहन के कामकाज से संतुष्ट नही दिखे। एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..

कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह


मोतिहारी: लोकसभा चुनाव अब सिर पर हैं। जगह-जगह इस बात की जिले भर में चर्चा हो रही है कि क्या इलाके के सांसद राधा मोहन सिंह ने जो काम किया है वह काफी है य़ा नाकाफी? क्या राधा मोहन ने भारत सरकार के कृषि जैसे भारी भरकम मंत्रालय के मंत्री होने के बावजूद इलाके के लोगों के जीवन स्तर में वाकई कोई ठोस बदलाव करने में सफलता पायी या नही? इस सवाल पर डाइनामाइट न्यूज़ ने इलाके की पड़ताल की तो राय काफी चौंकाने वाली थी। ज्यादातर लोग राधा मोहन के कामकाज से संतुष्ट नही दिखे।

नाराजगी की वजहें

राधा मोहन सिंह कृषि मंत्री के अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके काम काज से न केवल बिहार की जनता बल्कि उनके अपने क्षेत्र एवं गृह नगर मोतिहारी में भी हर आम और खास जनता उनसे नाराज है। क्षेत्र के लोगों से मिलने जुलने से लेकर काम कराने के मामले में लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लोगों का मानना है कि मंत्री बनने के बाद उनके व्यवहार में गजब का बदलाव आ गया या यूं कहें कि सत्ता के नशे के चलते अहंकार हावी हो गया। 

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पूर्वी चंपारण का मानचित्र

सड़क की हालत बदतर

राधा मोहन सिंह पिछले दस सालों से लगातार सांसद और पांच सालों से केंद्र में कृषि मंत्री हैं। इसके बावजूद पूर्व चंपारण के जिला मुख्यालय पर सड़क तक ठीक नहीं है । छितौनी से मीना बाजार और बाईपास ग्यान बाबू चौक से जानपुल की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। इन सड़कों में पांच साल में कोई विशेष परिवर्तन देखने को नहीं मिला है। 

मोतिहारी की एक मात्र चीनी मिल भी बंद 

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मोतिहारी सिटी की एक मात्र चीनी मिल भी अब बंद हो चुकी है। लोगों का कहना है कि जब राधा मोहन मंत्री बने थे तो उनसे काफी उम्मीदें थी कि चीनी मिल की स्थिति में सुधार होगी लेकिन सुधार होना तो दूर वो तो पूरी तरह से बंद हो गयी है। इलाके के गन्ना किसानों की स्थिति आत्महत्या करने जैसी बन चुकी है। राधा मोहन ने पूर्वी चंपारण के किसानों को गन्ना उत्पादन करने की अपील की थी और अब जब गन्ने की फसल पक कर तैयार हो चुकी है, तो उसे खरीदने वाला कोई नहीं है। इससे नाराज किसान अब अपनी फसलों को स्वयं खेतों में जलाने को मजबूर है।

क्या भाजपा नेतृत्व लेगा कोई सुध

इलाके के लोगों का कहना है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को इस तरफ ध्यान देना चाहिये कि आखिर राधा मोहन सिंह ने अपने संसदीय क्षेत्र के साथ क्यों न्याय नहीं किया?










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