बिहार विधानसभा में माइक तोड़ने वाले भाजपा विधायक के खिलाफ की गई ये कार्रवाई
विधानसभा अध्यक्ष चौधरी ने जैसे ही लखेंद्र रौशन के निलंबन की घोषणा की, रौशन खड़े हो गए और कहा कि उन्होंने 'माइक्रोफोन नहीं तोड़ा था, वह खराब था और खुद ही बाहर आ गया था। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
पटना: बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक विधायक को अशोभनीय आचरण करने पर दो दिन के लिए निलंबित कर दिया गया जिसके बाद उनकी पार्टी के सहयोगियों ने विरोध शुरू कर दिया और सदन से वाकआउट किया। हालांकि सरकार ने विधानसभाध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने एक 'अच्छी मिसाल' कायम की है।
विधानसभा अध्यक्ष चौधरी ने जैसे ही लखेंद्र रौशन के निलंबन की घोषणा की, रौशन खड़े हो गए और कहा कि उन्होंने 'माइक्रोफोन नहीं तोड़ा था, वह खराब था और खुद ही बाहर आ गया था।
उन्होंने चिल्ला कर कहा, ‘‘मैं कार्यवाही में भाग ले रहा था। प्रश्नकाल के दौरान बोलने की मेरी बारी थी और माइक्रोफोन ठीक से काम नहीं कर रहा था। मैंने इसे ठीक करने की कोशिश की लेकिन यह खराब था और खुद ही बाहर आ गया।’’
रौशन ने कहा, “सत्यदेव राम (सीपीआई-एमएल लिबरेशन विधायक) ने मेरे खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। इसके बाद भी मुझे ही दोषी ठहराया जा रहा है। किसी दलित विधायक को इस तरह परेशान नहीं किया जाना चाहिए।’’
इसके बाद सदन में कुछ देर तक हंगामे की स्थिति रही और बाद में सभी भाजपा सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।
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विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई के बाद संसदीय मामलों के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने रौशन के ‘‘अलोकतांत्रिक और असंसदीय व्यवहार’’ की निंदा की और कहा कि रौशन को माफी मांगनी चाहिए।
विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा, 'जो हुआ, उसके लिए दोनों पक्ष समान रूप से जिम्मेदार हैं। हमारे विधायकों को सत्ता पक्ष ने उत्तेजित किया। अगर माफी मांगनी है तो दोनों तरफ से मांगी जानी चाहिए।’’
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, “भाजपा के लोगों को गलतबयानी करने की आदत है। उन्होंने सदन के अंदर गलत बोला कि तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों पर हमला किया जा रहा है। अब वे फिर झूठ बोल रहे हैं, यहां तक कि अध्यक्ष पर भी पक्षपात करने का आरोप लगा रहे हैं।”
सदन में हंगामे की शुरुआत उस समय शुरू हुई जब प्रश्नकाल का 10 मिनट समय शेष था और रौशन एक तारांकित प्रश्न पूछ रहे थे एवं संबंधित मंत्री सरकार का जवाब प्रस्तुत कर रहे थे। इसी दौरान भाकपा(माले)-लिबरेशन विधायक सत्यदेव राम ने भी कुछ बोलने का प्रयास किया।
राम की पार्टी राज्य की नीतीश कुमार सरकार को बाहर से समर्थन देती है।
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राम ने सदन से बाहर संवाददाताओं से कहा, 'अध्यक्ष ने एक अन्य सदस्य का नाम पुकारा, तब रौशन ने गुस्से में माइक्रोफोन को तोड़ दिया। मैं केवल अनियंत्रित व्यवहार की ओर इशारा करने के लिए खड़ा हुआ था। उन्होंने मुझे अपशब्द कहे।’’
राज्य के मंत्री कुमार सर्वजीत ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, 'आज सभी सीमाओं को तोड़ दिया गया। (भाजपा सदस्यों द्वारा) अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया और उनमें से कुछ आसन के पास खड़े हो गए और अध्यक्ष से आपत्तिजनक लहजे में बात की।'
विपक्ष के नेता सिन्हा ने आरोप लगाया, 'विपक्ष के प्रति अध्यक्ष का व्यवहार अनुचित रहा है। जब भी विपक्ष ने लोगों के मुद्दों को उठाने का प्रयास किया, उसे बाधित किया गया। हम मूक दर्शक नहीं बने रह सकते। सत्ता पक्ष ने भी गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार किया। कार्यवाही सुचारू रूप से चले, यह सुनिश्चित करने का दायित्व सत्ता पक्ष पर है।’’