‘जीवाश्म ईंधन के विस्तार को उचित ठहराने के लिए उन्मूलन प्रौद्योगिकियों का उपयोग नहीं किया जा सकता’

डीएन ब्यूरो

फ्रांस, चिली, केन्या सहित 17 देशों के नेताओं ने कहा है कि ऊर्जा प्रणालियों से कार्बन उत्सर्जन घटाने में उन्मूलन प्रौद्योगिकियों की न्यूनतम भूमिका होती है और जीवाश्म ईंधन के विस्तार को उचित ठहराने के लिए इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

कार्बन उत्सर्जन
कार्बन उत्सर्जन


नयी दिल्ली:  फ्रांस, चिली, केन्या सहित 17 देशों के नेताओं ने कहा है कि ऊर्जा प्रणालियों से कार्बन उत्सर्जन घटाने में उन्मूलन प्रौद्योगिकियों की न्यूनतम भूमिका होती है और जीवाश्म ईंधन के विस्तार को उचित ठहराने के लिए इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक ये 17 राष्ट्र जलवायु परिवर्तन पर मजबूत एवं महत्वाकांक्षी कार्रवाई की वकालत करने वाले देशों के समूह हाई एंबिशन कोलिशन (एचएसी) के सदस्य हैं।

बुधवार को संयुक्त राष्ट्र जलवायु महत्वकांक्षा शिखर सम्मेलन से पहले जारी एक संयुक्त बयान में इन देशों के नेताओं ने सभी आर्थिक क्षेत्रों में प्रणालीगत परिवर्तन की आवश्यकता पर जोर दिया, जो ‘‘वैश्विक स्तर पर जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल चरणबद्ध तरीके से खत्म करने’’ से प्रेरित हो।

उन्होंने स्वीकार किया कि कार्बन उत्सर्जन को रोकने में उन्मूलन प्रौद्योगिकियों की भूमिका होती है, लेकिन ऊर्जा प्रणालियों से कार्बन उत्सर्जन घटाने में उनका योगदान बेहद सीमित है।

ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चिली, कोलंबिया, डेनमार्क, माइक्रोनेशिया, फिनलैंड, फ्रांस, आइसलैंड, आयरलैंड, केन्या, मार्शल द्वीप, नीदरलैंड, पलाऊ, स्पेन, तुवालु और वानुआतु का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं ने कहा, ‘‘हम इमका (उन्मूलन प्रौद्योगिकियों का) इस्तेमाल जीवाश्म ईंधन के विस्तार को हरी झंडी देने के लिए नहीं कर सकते।’’

नेताओं ने कहा, ‘‘विशेष रूप से सबसे गरीब लोगों और जलवायु संकट के लिए सबसे कम जिम्मेदार लोगों को होने वाला नुकसान तब तक बढ़ता रहेगा, जब तक हम कार्बन उत्सर्जन में कमी नहीं लाते।’’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में इस दशक के भीतर वैश्विक उत्सर्जन को आधा करने की आवश्यकता है।

नेताओं ने कहा कि मात्र 1.1 डिग्री ग्लोबल वार्मिंग पर दुनिया को अभूतपूर्व गर्मी, बाढ़, जंगल की आग, चक्रवात और सूखे का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में हरित क्षेत्र और वनों को बहाल करने तथा उनका संरक्षण करने के महत्व पर जोर दिया।

 










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