महान कवि तिरुवल्लुवर की 25 फुट ऊंची प्रतिमा कोयंबटूर में स्थापित, जानिये इसकी खास बातें

डीएन ब्यूरो

कोयंबटूर में ‘स्मार्ट सिटी’ परियोजना के तहत कुरीचिकुलम झील के समीप मशहूर तमिल कवि तिरुवल्लुवर की 25 फुट ऊंची स्टील की प्रतिमा स्थापित की गयी है जिसमें वह बैठी हुई मुद्रा में हैं तथा उस पर वर्ण उकेरे गए हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

महान कवि तिरुवल्लुवर की 25 फुट ऊंची प्रतिमा
महान कवि तिरुवल्लुवर की 25 फुट ऊंची प्रतिमा


 कोयंबटूर:  में ‘स्मार्ट सिटी’ परियोजना के तहत कुरीचिकुलम झील के समीप मशहूर तमिल कवि तिरुवल्लुवर की 25 फुट ऊंची स्टील की प्रतिमा स्थापित की गयी है जिसमें वह बैठी हुई मुद्रा में हैं तथा उस पर वर्ण उकेरे गए हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार एक शीर्ष अधिकारी ने यहां बताया कि तिरुवल्लुवर द्वारा रचित ‘तिरुकुरल’ के 1,330 दोहों के सम्मान में यह 2.5 टन वजनी प्रतिमा आपस में संबद्ध 1,330 तमिल अक्षरों से बनी है।

कोयंबटूर के नगर निगम आयुक्त एम प्रताप ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के तहत, हमने कोयंबटूर में कुरीचिकुल समेत सात पुरानी झीलों का पुनरुद्धार किया है। झील के तटों का तमिल संस्कृति एवं उत्सवों को दर्शाती मूर्तियों से सौंदर्यीकरण किया गया है। झील के तट के समीप हमारे श्रद्धेय कवि तिरुवल्लुवर की एक विशाल प्रतिमा स्थापित की गयी है जिस पर तमिल अक्षरों उकेरे गए हैं।’’

प्रताप ने बताया कि इस प्रतिमा का आधिकारिक रूप से जल्द ही अनावरण किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री कार्यालय को झील परियोजना के उद्घाटन के लिए एक अनुरोध भेजा है। हम मुख्यमंत्री कार्यालय से कोई तारीख मिलने का इंतजार कर रहे हैं।’’

कोयंबटूर स्मार्ट सिटी के महाप्रबंधक बासकर श्रीनिवासन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘तिरुवल्लुवर की प्रतिमा 25 फुट ऊंची, 15 फुट चौड़ी तथा 20 फुट लंबी है और इसका वजन 2.5 टन है। यह भव्य प्रतिमा तिरुवल्लुवर द्वारा रचित 1,330 ‘तिरुकुरल’ के सम्मान में 1,330 तमिल अक्षरों से निर्मित है। तमिल में 247 वर्ण हैं इसलिए प्रतिमा में वर्णों का दोहराव है।’’

तिरुवल्लुवर मशहूर तमिल कवि और शोधार्थी थे तथा उन्हें राजनीति, अर्थव्यवस्था, नीतिशास्त्र और प्रेम जैसे व्यापक विषयों पर दोहों का संग्रह ‘तिरुकुरल’ की रचना करने के लिए जाना जाता है। तिरुक्कुरल को तमिल साहित्य की महानतम कृतियों में से एक माना जाता है।

श्रीनिवासन ने बताया कि प्रतिमा में तिरुवल्लुर बैठी हुई मुद्रा में है। और उन्होंने एक हाथ में ‘पनई ओलई’ (ताड़ का पत्ता) तथा दूसरे में पांडुलिपियां लिखने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्राचीन कलम ले रखी है।

उन्होंने बताया कि तिरुवल्लुवर का जन्म तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के समीप एक गांव में पहली सदी में हुआ था। उनके शुरुआती जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है और केवल इतना ही मालूम है कि वह पेशे से एक बुनकर थे।










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