New Delhi: चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) द्वारा पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित इस हाइड्रोजन ट्रेन का सफल परीक्षण किया गया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि भारत ने अब 1200 हॉर्सपावर की हाइड्रोजन ट्रेन पर भी काम शुरू कर दिया है। भारत अब जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन जैसे विकसित देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने पहले ही हाइड्रोजन फ्यूल आधारित ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया है।
हरियाणा में हुआ ट्रायल
रेलवे ने इस ट्रेन का पायलट ट्रायल हरियाणा के जींद से सोनीपत रेलखंड (89 किमी) पर किया। यह ट्रेन अधिकतम 110 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस ट्रेन में आठ नॉन-एसी कोच होंगे, जिसमें दोनों ओर हाइड्रोजन फ्यूल पावर कार लगी होगी। ICF इस ट्रेन की पहली डिलीवरी 31 अगस्त 2025 तक करने की तैयारी में है।
पर्यावरण के लिए वरदान साबित होगी हाइड्रोजन ट्रेन
डीजल और बिजली से चलने वाली ट्रेनों के मुकाबले हाइड्रोजन ट्रेनें बेहद स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल होती हैं। इस ट्रेन में प्रयुक्त हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक के तहत हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के रासायनिक प्रतिक्रिया से बिजली उत्पन्न होती है। इस प्रक्रिया में केवल पानी और भाप निकलती है, जो प्रदूषण रहित होती है। इससे कार्बन उत्सर्जन पूरी तरह खत्म हो जाता है।
हेरिटेज और पहाड़ी रूट्स के लिए ‘Hydrogen for Heritage’ योजना
रेल मंत्री ने बताया कि रेलवे की योजना 35 हाइड्रोजन ट्रेनों को हेरिटेज और पहाड़ी रूट्स पर चलाने की है।
• प्रत्येक ट्रेन की लागत: ₹80 करोड़
• इंफ्रास्ट्रक्चर विकास खर्च: ₹70 करोड़
• कुल बजट: ₹2800 करोड़
इस योजना के तहत पुराने और पर्यटक स्थलों वाले रेल मार्गों पर प्रदूषण रहित परिवहन की सुविधा मिलेगी, जो पर्यटन को भी बढ़ावा देगी।
देश के लिए एक नई शुरुआत
हाइड्रोजन ट्रेन के ट्रायल के साथ भारत ने रेल परिवहन को हरित और स्थायी बनाने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया है। इससे न केवल रेलवे का कार्बन फुटप्रिंट घटेगा, बल्कि भविष्य में स्वदेशी तकनीक पर आधारित टिकाऊ यातायात प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा।